(ग) 'गिन्नी का सोना ' पठ में शुद्ध आदर्श की तुलना शुद्ध सोने से क्यों की गई है ?
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‘गिन्नी का सोना’ पाठ में शुद्ध आदर्श की तुलना शुद्ध सोने से इसलिए की गई है, क्योंकि शुद्ध सोने में किसी तरह की मिलावट नहीं की जाती। इसी तरह आदर्श भी सोने की तरह एकदम शुद्ध होते हैं।
यदि शुद्ध सोने में तांबे या किसी अन्य अनुकूल धातु की मिलावट की जाए तो सोने की शुद्धता तो समाप्त हो जाती है, लेकिन धातु की मिलावट से सोना मजबूत हो जाता है। उसी तरह शुद्ध आदर्श में यदि व्यवहारिकता की मिलावट की जाए तो वह आदर्श शुद्ध नही रहते, लेकिन वे आदर्श व्यवहारिकता की मिलावट से मजबूत हो जाते हैं।
इसलिए शुद्ध आदर्श की तुलना शुद्ध सोने से की गयी है, क्योंकि वे भी सोने की तरह शुद्ध होते हैं।
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