गोपियों के ह्रदय की इच्छा ह्रदय में ही क्यों रह गई ?
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गोपियों की हृदय की इच्छा हृदय में ही रह गई क्योंकि वे उद्धव से वो बातें नहीं कह सकती थी जो उनको श्री कृष्ण से कहनी थी I गोपियां उद्धव को अपनी बातों का आदान प्रदान करने का उचित माध्यम नहीं समझती थी I वे उद्धव को अपने मन की बात बताने के लिए विश्वाशपत्र नहीं समझती थी I
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गोपियों की कौन-सी मन की बात मन में हीं रह गई? गोपियां अपने हृदय की पीड़ा श्रीकृष्ण को सुनाना चाहती थीं लेकिन निर्गुण ज्ञान के संदेश को सुनकर वे कुछ न कर पाई। उन के वियोग से उत्पन्न पीड़ा संबंधी बात उन के मन में ही रह गई।
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