गोपियों ने यह क्यों कहा कि हरि अब राजनीति पढ़ आए हैं? क्या आपको गोपियों के इस कथन का विस्तार समकालीन राजनीति में नज़र आता है, स्पष्ट कीजिए।
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गोपियों ने यह क्यों कहा कि हरि अब राजनीति पढ़ आए हैं? क्या आपको गोपियों के इस कथन का विस्तार समकालीन राजनीति में नज़र आता है, स्पष्ट कीजिए।
गोपियों ने सोच-विचार कर ही कहा था की अब हीर राजनीति पढ़ गए थे| राजनीति मनुष्य को दोहरी चालें चलाना सिखाती है| श्रीकृष्ण गोपियों से प्रेम करते थे और प्रेम हमेशा सदा सीधी राह पर चलता है| लेकिन जब कृष्ण मथुरा चले गए थे , तो उन्होंने उद्धव पास संदेश पहुंचा दिया था | कृष्ण के इस दोहरे आचरण के कारण ही गोपियों को कहना पड़ा था की हरी राजनीति पढ़ आए हैं |
गोपियों का कहना था नेता जो होते वह जनता को कुछ कहते है और स्वयं कुछ और करते है| राजनीति में कोई अपना नहीं होता| वादे कर के भूल जाते है| जिनका मन कभी स्थिर नहीं रहता है। गोपियों का मन तो कृष्ण के प्रेम में हमेशा से अचल है।
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