Sociology, asked by akingqueen1770, 10 months ago

ग्रामीणों की आवाज को सामने लाने में 73वाँ संविधान संशोधन अत्यंत महत्वपूर्ण है। चर्चा कीजिए।

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Answered by adhvaith2007
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Answer: भारतीय संविधान में 73rd संविधान संशोधन अधिनियम (73rd Amendment Act) ने एक नया भाग IX सम्मिलित किया है. इसे The Panchayats नाम से उल्लेखित किया गया और अनुच्छेद 243 से 243(O) के प्रावधान सम्मिलित किये गए. इस कानून ने संविधान में एक नयी 11वीं अनुसूची भी जोड़ी. इसमें पंचायतों की 29 कार्यकारी विषय वस्तु हैं. इस कानून ने संविधान के 40वें अनुच्छेद को एक प्रयोगात्मक आकार दिया जिसमें कहा गया है कि – “ग्राम पंचायतों को व्यवस्थित करने के लिए राज्य कदम उठाएगा और उन्हें उन आवश्यक शक्तियों और अधिकारों से विभूषित करेगा जिससे कि वे स्वयं-प्रबंधक की ईकाई की तरह कार्य करने में सक्षम हो.” यह अनुच्छेद राज्य के नीति निदेशक तत्वों का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है.

इस अधिनयम ने पंचायती राजसंस्थाओं को एक संवैधानिक दर्जा दिया अर्थात् इस अधिनियम के प्रावधान के अनुसार नई पंचायतीय पद्धति को अपनाने के लिए राज्य सरकार संविधान की बाध्यता के अधीन है. अतः राज्य सरकार की इच्छा पर न तो पंचायत का गठन और न ही नियमित अंतराल पर चुनाव होना निर्भर करेगा.

Explanation:

Answered by dcharan1150
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साल 1992 में किया गया 73 वाँ संविधान संरोधन ग्रामीण विकास के लिए एक मूल आधार के रूप में दुनिया भर में परिचित हुआ, क्योंकि इसी संशोधन के बदौलत भारत के अंदर पंचायती राज का अस्तित्व सामने आया।

इस संशोधन के तहत पंचायती राज को भारत के संविधान से पूर्ण सुकृति मिला। हर एक राज्य में पंचायतों को स्थापित करने को अनिवार्य किया गया। पंचायतों को शासन प्रणाली में बहुत सारे अधिकार मिलें। पंचायतों में हर 5 साल में एक बार चुनाव होने के प्रक्रिया को इस संशोधन में शामिल किया गया। दलित वर्ग के महिलायों को सरपंच बनने का मौका भी इस संशोधन ने दिया।

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