गाँधीजी के जीवन में रामायण व भगवद्गीता का क्या महत्व था?
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गांधी जी के अनुसार मानव जीवन ज्ञान, भक्ति और कर्म का समन्वय है और गीता इनसे संबंधित सभी समस्याओं का समाधान है। स्वाध्याय पूर्वक गीता का किया गया अध्ययन जीवन के गूढ़ रहस्य को उजागर करता है। गांधी जी ने गीता को शास्त्रों का दोहन माना। उन्होंने ‘गीता माता’ में श्लोकों की शब्दों के सरल अर्थ देते हुए टीका की है। गांधी जी का विश्वास था कि जो मनुष्य गीता का भक्त होता है, उसे कबी निराशा नहीं घेरती, वह हमेशा आनंद में रहता है।
भारत की धरती ने एक ऐसा महान मानव पैदा किया जिसने न केवल भारत की राजनीति का नक्शा बदल दिया अपितु विश्व को सत्य अहिंसा, शांति और प्रेम की उस अजेय शक्ति के दर्शन कराए जिसके लिए ईसा या गौतम बुद्ध का स्मरण किया जाता है। गाँधी जी का धर्म समूची मानव-जाती के लिए कल्याणकारी था। उन्होंने स्वयं को दरिद्र नारायण का प्रतिनिधि माना। गांधी जी का विश्वास था कि भारत का उत्थान गाँवों की उन्नति से ही होगा। उनके लिए सत्य से बढ़कर कोई धर्म और अहिंसा से बढ़कर कोई कर्त्तव्य नहीं था। गांधी जी संसार की अमर विभूति।
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गांधी जी के अनुसार मानव जीवन ज्ञान, भक्ति और कर्म का समन्वय है और गीता इनसे संबंधित सभी समस्याओं का समाधान है। स्वाध्याय पूर्वक गीता का किया गया अध्ययन जीवन के गूढ़ रहस्य को उजागर करता है। गांधी जी ने गीता को शास्त्रों का दोहन माना। उन्होंने ‘गीता माता’ में श्लोकों की शब्दों के सरल अर्थ देते हुए टीका की है। गांधी जी का विश्वास था कि जो मनुष्य गीता का भक्त होता है, उसे कबी निराशा नहीं घेरती, वह हमेशा आनंद में रहता है।
भारत की धरती ने एक ऐसा महान मानव पैदा किया जिसने न केवल भारत की राजनीति का नक्शा बदल दिया अपितु विश्व को सत्य अहिंसा, शांति और प्रेम की उस अजेय शक्ति के दर्शन कराए जिसके लिए ईसा या गौतम बुद्ध का स्मरण किया जाता है। गाँधी जी का धर्म समूची मानव-जाती के लिए कल्याणकारी था। उन्होंने स्वयं को दरिद्र नारायण का प्रतिनिधि माना। गांधी जी का विश्वास था कि भारत का उत्थान गाँवों की उन्नति से ही होगा। उनके लिए सत्य से बढ़कर कोई धर्म और अहिंसा से बढ़कर कोई कर्त्तव्य नहीं था। गांधी जी संसार की अमर विभूति।