गांधी जी के दर्शन के एक आवश्यक अंग के रूप में खादी के अर्थ को वर्णित करें। साथ ही आज के संदर्भ में उसका प्रतीकात्मक अर्थ बताएँ।
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गांधी जी के दर्शन के एक आवश्यक अंग के रूप में खादी के अर्थ को वर्णित करें। साथ ही आज के संदर्भ में उसका प्रतीकात्मक अर्थ बताएँ।
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उत्तर :- जैसा की हमें पहले से पता है की, भारत एक कृषि प्रधान देश हैं और यहाँ के लोग अपने लिए जरूरी अनाज की पूर्ति खुद उगा कर या घरोई स्तर पर खेती करके करते हैं। इसलिए लोगों के लिए खाने का विकल्प तो प्राचीन काल से मौजूद हैं। परंतु यहाँ पर गौरतलब बात यह है की, प्राचीन काल से ही हमारे लोग वस्त्र को कपास का उत्पादन करते रहें हैं।
इसलिए देश में वस्त्र के लिए कच्चे माल के तौर पर कपास की कमी कभी नहीं हुई। इसको देखते हुए गांधी जी का कहना था की हर एक भारतीय को कपास से खुद चरखा चला कर अपने वस्त्र की मांग की पूर्ति भी करें। जिससे हमारा देश और अधिक आत्म-निर्भर होता और विकसित भी। इस विचार को आप आज भी व्यावहारिकता में ला कर स्वदेशी वस्तु इस्तेमाल करते हुए देश को विकसित कर सकते हैं।
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