गोवर्धन दास अंधेर नगरी में क्या करना चाहता था
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अंधेर नगरी में भाजी और खाजा दोनों टका सेर बिकता था। कसाई ने गड़रिये से भेड़ मोल ली थी। महंत ने गोवर्धनदास को सलाह दी थी कि ऐसी नगरी में रहना उचित नहीं है, जहाँ टके सेर भाजी और टके सेर खाजा बिकता है। राजा फाँसी चढ़ने को तैयार हो गया, क्योंकि महंत ने कहा था कि उस शुभ घड़ी में जो मरेगा वह सीधे स्वर्ग जाएगा।
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