गणेश जी लोगों के हरे पूजन पदार्था तो मिलते हैं
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भोपाल। हिन्दू संस्कृति और पूजा में भगवान श्रीगणेश जी को सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया गया है। प्रत्येक शुभ कार्य में सबसे पहले भगवान गणेश की ही पूजा की जाती अनिवार्य बताई गयी है। देवता भी अपने कार्यों की बिना किसी विघ्न से पूरा करने के लिए गणेश जी की अर्चना सबसे पहले करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि देवगणों ने स्वयं उनकी अग्रपूजा का विधान बनाया है।
श्री गणेश जी को बुध का कारक देव माना जाता है, इसीलिए बुधवार को भगवान गणेश का वार माना जाता है। ऐसे में बुधवार को गणेश की पूजा विशेष मनोरथ सफल करने वाली मानी जाती है। मान्यता के अनुसार गणेश जी की पूजा न केवल आपके कार्यों में आ रही अड़चनों को हटाती है, बल्कि आपकी हर मनोकामना को भी पूरी करती है।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार शास्त्रों में एक बार जिक्र आता है कि भगवान शंकर त्रिपुरासुर का वध करने में जब असफल हुए, तब उन्होंने गंभीरतापूर्वक विचार किया कि आखिर उनके कार्य में विघ्न क्यों पड़ा? तब महादेव को ज्ञात हुआ कि वे गणेशजी की अर्चना किए बगैर त्रिपुरासुर से युद्ध करने चले गए थे। इसके बाद शिवजी ने गणेशजी का पूजन करके उन्हें लड्डुओं का भोग लगाया और दोबारा त्रिपुरासुर पर प्रहार किया, तब उनका मनोरथ पूर्ण हुआ।
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माना जाता है कि जैसे भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए किसी विशेष सामग्री और विधि की जरूरत नहीं होती है, उसी प्रकार माता पार्वती और शिव पुत्र गणेश को खुश करना भी सरल है। गणेश जी अपने भक्तों की श्रद्धा और भक्ति देखते हैं। जो भक्त इनके प्रति जितनी श्रद्धा रखता है, गणेश जी उस पर उतने ही कृपालु बने रहते हैं। पंडित शर्मा के अनुसार शास्त्रों में भी गणेश जी को खुश करके उनसे झट मनोकामना पूरी करवाने के कुछ उपाय बताए गए हैं।