गद्य आकलन
निम्नलिखित परिच्छेद पढ़कर पांच ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर परिच्छेद में एक एक वाक्य में हो |
अकर्मण्यता दरिद्रता की सहेली है| अथक परिश्रम का संबल लेकर इससे बचना ही उचित है| यदि परिश्रम विवेक और व्यवस्था सहित उचित दिशा में संलग्न ता के साथ किया जाए तो उसका परिणाम आश्चर्यजनक होता है |शारीरिक और मानसिक दोनों ही परिश्रम अपने-अपने स्थान पर महत्वपूर्ण है| दोनों के सम्मेलन से एक पूर्ण परिश्रम का निर्माण होता है| दोनों के सहयोग एवं समन्वय से ही जीवन सुखमय एवं पूर्ण हो सकता है| परिश्रम की सफलता के साथ साथ आनंद की भी प्राप्ति होती है| जब कोई कार्य परिश्रम के पश्चात् सफल होता है तो हृदय उल्लास से पूर्ण हो जाता है| असफल होने पर भी साहस टूटता नहीं क्योंकि इस बात का संतोष रहता है कि हमने अपना कर्तव्य निभा दिया |मानसिक शांति मिलने के साथ साथ पुनः प्रयत्न की प्रेरणा प्राप्त होती है|
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Answers
Answer:
panch prashan nimn hai
1.daridrta ki saheli kon hai?
2.konse do parishram apne apne sthan par mahatvpurna hai?
3.jab koi karya parishram ke paschat safal ho jata hai tab hridya kisse purna ho jata hai?
4.asafal hone par kis bat Ka santosh rehta hai?
5. asafal hone ke bad mansik shanti ke sath sath konsi prerna ki prapti hoti hai ?
Explanation:
translate this in hindi and plss mark me as brainliest. Thankyou
Answer:
2) गद्य आकलन।
निम्नलिखित परिच्छेद पढकर ऐसे पाँच प्रश्न तैयार कीजिए जिसका उत्तर एक-एक
में हो।
पंक्तिबद्ध और एकजुट रहने के कारण दाँत बहुत दुस्साहसी हो गए थे। एक दिन वे गर्व में चूर होकर जिह्वा से बोले, "हम बत्तीस घनिष्ठ मित्र है, एक-से-एक मजबूत। तू ठहरी अकेली, चाहें तो तुझे बाहर ही न निकलने दे।" पहली बार ऐसा कलुषित विचार सुना था। वह हँसकर बोली, "ऊपर से एकदम सफेद और स्वच्छ हो पर मन से बड़े कपटी हो।"
ऊपर से स्वच्छ और अंदर के काले घोषित करने वाली जीभ वाचालता छोड़ अपनी औकात में रह। हम तुझे चबा सके है। यह मत भूल कि तू हमारी कृपा पर ही राज ही राज कर रही है" दाँतो ने किटकिटाकर कहा। जीभ ने नम्रता बनाए रखी किंतु उत्तर दिया, दूसरों को चबा जाने की ललक रखने वाले बहुत जल्दी टूटते भी है। सामनेवाले तो और जल्दी गिर जाते है। तुम लोग अवसरवादी हो, मनुष्य का साथ तभी तक देते हो, जब तक | वह जवान रहता है। वृद्धावस्था में उसे असहाय छोड़कर चल देते हो।"