घर में किस अवसर पर दादी मां के उत्साह और आनंद का ठिकाना नहीं था?
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दादी माँ उसी बुखार को लेकर बहुत चिंतित हो गयी थी। दिन भर वह चारपाई के पास बैठी रहती ,पंखा झलती ,सर पर दाल चीनी रखती ,बीसों बार सर पर हाथ रखती। ... किशन भैया की शादी के मौके पर ,दादी के उत्साह और आनंद का ठिकाना नहीं था।
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