Hindi, asked by ramannavadarakal, 2 months ago

Goutam Buddha information in Hindi​

Answers

Answered by AwesomeVibes
17

Answer:

गौतम बुद्ध का जन्म शाक्य गणराज्य की तत्कालीन राजधानी कपिलवस्तु के निकट लुंबिनी, नेपाल में पिता राजा शुद्धोधन और माता मायादेवी के घर हुआ था।

उनका बचपन का नाम सिद्धार्थ था। लेकिन “गौतम” गोत्र में जन्म लेने के कारण उन्हें गौतम नाम से भी पुकारा जाता था।

गौतम के जन्म के सात दिन बाद ही उनकी माता मायादेवी का निधन हो गया था। उसके बाद उनका पालन पोषण उनकी मौसी (सौतेली माँ) और शुद्दोधन की दूसरी रानी महाप्रजावती (गौतमी) ने किया।

जब गौतम बुद्ध के जन्म समारोह को आयोजित किया गया, तब उस समय के प्रसिद्ध साधु दृष्टा आसित ने एक भविष्यवाणी की, कि यह बच्चा या तो एक महान राजा बनेगा या एक महान पथ प्रदर्शक।

उन्होंने गुरु विश्वामित्र से वेद और उपनिषद्‌ की शिक्षा प्राप्त की। यही-नहीं वेदों की शिक्षा के अलावा उन्होंने कुश्ती, घुड़दौड़, तीर-कमान जैसी कला को एक क्षत्रिय की भांति सीखा।

कम उम्र में शिक्षा दीक्षा ग्रहण करने के बाद गौतम बुद्ध का विवाह 16 वर्ष की आयु में कोली वंश की कन्या यशोधरा से हुआ था।

उनके पिता ने सिद्धार्थ के लिए भोग-विलासिता का भरपूर प्रबंध किया हुआ था। उनके लिए तीन ऋतुओं के आधार पर अलग-अलग तीन महल बनवा दिए गए थे। जहां नाच-गाना और मनोरंजन की भरपूर व्यवस्था थी। इसके साथ-साथ हर समय दास दासी सेवा करने में होते रहते थे। परन्तु, ये सब व्यवस्था सिद्धार्थ को सांसारिक मोह-माया में बांध नहीं सकी।

एक बार जब वसंत ऋतु में सिद्धार्थ बगीचे की सैर पर निकले। जहां उन्हें सड़क पर एक बूढ़ा आदमी दिखाई दिया। उसके दाँत टूट गए थे, बाल पक गए थे, शरीर टेढ़ा हो गया था। हाथ में लाठी पकड़े धीरे-धीरे काँपता हुआ, वह सड़क पर चल रहा था। जब दूसरी बार सिद्धार्थ बगीचे की सैर को निकले, तब उनकी आँखों के आगे एक रोगी आ गया। जिसकी साँसे तेजी से चल रही थी। कंधे ढीले पड़ गए थे। बाँहें सूख गई थीं। पेट फूल गया था। चेहरा पीला पड़ गया था। दूसरे के सहारे वह बड़ी मुश्किल से चल पा रहा था। तीसरी बार जब सिद्धार्थ को सैर करते हुए एक अर्थी दिखाई दी। जहां चार आदमी कंधा देते हुए अर्थी उठाकर लिए जा रहे थे। पीछे बहुत से लोग रो रहे थे, कोई छाती पीट रहा था, कोई अपने बाल नोच रहा था। इन सभी दृश्यों को देख कर सिद्धार्थ बहुत विचलित हुए। उन्होंने सोचा कि ‘धिक्कार है ऐसी जवानी का जो जीवन को सोख लेती है। धिक्कार है ऐसे स्वास्थ्य का जो शरीर को नष्ट कर देता है। धिक्कार है ऐसे जीवन का जो इतनी जल्दी अपना अध्याय पूरा कर लेता है। और मन ही मन विचार करने लगे क्या बुढ़ापा, बीमारी और मौत सदा इसी तरह होती रहेगी ? उसके बाद जब सिद्धार्थ चौथी बार बगीचे की सैर को निकले, तब उन्हें एक संन्यासी दिखाई दिया। जो संसार की सारी भावनाओं और कामनाओं से मुक्त होकर प्रसन्नचित्त प्रतीत हो रहा था। जिससे गौतम बुद्ध काफी प्रोत्साहित हुए और एक सन्यासी बनने का निर्णय किया।

Answered by najamsultan2010
1

Answer:

गौतम बुद्ध (जन्म 563 ईसा पूर्व – निर्वाण 483 ईसा पूर्व) एक श्रमण थे जिनकी शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म का प्रचलन हुआ। इनका जन्म लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था।

Similar questions