Social Sciences, asked by ousmanekebe8207, 10 months ago

हांगकांग, चीन के अधीन रहेगा ब्रिटेन ने इस बात पर सहमति कब जताई थी?

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Answered by vicky9283
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हांगकांग अब चीन का हिस्सा है, हमेशा-हमेशा के लिए। राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सरकार ने यह दो-टूक संदेश हांगकांग को दिया है। कभी ब्रिटिश उपनिवेश रहे हांगकांग को चीनी शासन में लौटने की 20वीं सालगिरह के मौके पर यह पैगाम दिया गया है। और यह बताने के लिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने खुद पिछले सप्ताह के आखिर में हांगकांग का दौरा किया। बहरहाल, 1997 में ब्रिटिश नियंत्रण से निकलकर चीनी आधिपत्य स्वीकारते समय हांगकांग से चीन ने यह वादा किया था कि वह उसके लिए ‘एक देश, दो व्यवस्था’ की नीति अपनाएगा। इसका आशय था- हांगकांग को स्थानीय रूप से स्वायत्तता देना, जिसमें स्वतंत्र न्यायिक व्यवस्था, मुक्त पूंजीवाद, आजाद प्रेस और अभिव्यक्ति की निजी आजादी शामिल थीं। लेकिन 73 लाख की आबादी वाले हांगकांग के अनेक लोगों को यह लगता है कि पिछले कुछ वर्षों में चीन लगातार उनकी आजादी को कम करता जा रहा है। 2014 के आखिरी महीनों में काफी सारे लोग हांगकांग के चुनाव में चीन की दखलंदाजी के खिलाफ सड़कों पर उतर आए थे और करीब 11 हफ्तों तक सड़क पर डटे रहे। उन विरोध प्रदर्शन ने ‘अंब्रेला मूवमेंट’ के रूप में ख्याति पाई थी। आज हांगकांग की विधायी संस्था में दो तरह के सदस्य हैं। एक वे, जिनकी पूर्व मंजूरी चीन ने दी और दूसरे वे, जिन्हें अवाम ने लोकतांत्रिक तरीके से चुना है, और जो लोकतंत्र व स्वायत्तता के पैरोकार हैं। नतीजतन, वहां अक्सर विधायी गतिरोध कायम हो जाता है। ऐसे में, शैक्षिक सुधार और इन्फ्रास्ट्रक्चर की परियोजनाओं से जुड़े महत्वपूर्ण काम रुके पड़े हैं। बहरहाल, जो पुराने नागरिक हैं, वे काफी सावधानी बरतते हुए विनम्र तरीके से चीन को ‘एक देश, दो व्यवस्था’ का उसका वादा याद करा रहे हैं, लेकिन जो युवा हैं, जो पश्चिम जैसी आजादी के आदी हैं, वे चीन से पूर्ण आजादी की बातें करने लगे हैं। एक हालिया सर्वे बताता है कि 18 से 29 साल आयु वर्ग के महज तीन फीसदी नौजवान खुद को चीनी मानते हैं।... चीन हांगकांग से लोकतंत्र के फायदों के बारे में काफी कुछ सीख सकता था। लेकिन फिलहाल तो उसकी इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखती।

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