हैलो दोस्तो...!!!
आज मैं अपना अनुभव आप सभी के साथ बाँटना चाहती हुं और उसी के आधार पर मेरा प्रश्न होगा।
जैसा कि आप फोटो मे देख सकते हैं, यह दिल्ली मे स्थित कालका जी मंदिर है। शायद यह किसी समय मे ऐसा दिखता होगा, परंतु आज के समय मे इस मंदिर की स्थिति ऐसी बिल्कुल नही है।
जितना साफ - सुथरा यह फोटो मे दिख रहा है, वैसा यह नही है। माफ कीजिए, मैं इस मंदिर की फोटो नही ले पाई, क्योंकि मैं इसकी असली स्थिति देखकर हैरान थी। यह फोटो इन्टरनेट से लिया गया है। और यह तब का है, जब यह मंदिर बना था।
इस मंदिर की हालत एसी है कि एक पल के लिए मुझे लगा कि मैं मंदिर मे नही हुं। नालियाँ टूटी हुई थी जिनमे से गन्दा पानी बह रहा था, हर जगह भिखारी बैठे हुए थे जिनके कारण आने - जाने मे तकलीफ हो रही थी। लोगो द्वारा चढाए जा रहे नारियलों को दोबारा बाज़ार में बेचे जाने की तैयारी हो रही थी। साथ ही साथ दूध नालियों मे बह रहा था।
अब मेरा पहला प्रश्न है -
♢ हमेशा से यह मान्यता रही है कि मंदिरो में चप्पल उतार कर प्रवेश करना चाहिए। हमे ऐसा करना भी चाहिए परंतु चप्पलों के स्थान पर टूटी हुई नालियाँ और गंदगी का होना क्या ठीक है?
इसके बाद माता के दरबार का नजारा और भी बुरा था। लोगो की इतनी भीड थी कि सांस लेना भी मुश्किल हो गया। माता का प्रसाद लेने के लिए लोगो ने धक्का मारी शुरू कर दी।
♢ क्या हम इसे श्रद्धा कह सकते हैं?
♢ ऐसी स्थिति मे यदि किसी को कुछ हो जाए तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?
♢ ऐसी स्थिति पैदा ही न हो, इसके लिए क्या उपाय करने चाहिए?
♢ आपके अनुसार असली श्रद्धा क्या है? हमे इसका आचरण कैसे करना चाहिए?
_____________________
यह केवल दिल्ली के कालका जी मंदिर की ही दशा नही है, न जाने कितने और भी मंदिर होंगे जिनमे सुधार की जरूरत है।
⚠यदि मेरे ये विचार आपको गलत लगे हों, तो मैं क्षमा चाहुंगी।
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⭐Hey here is your answer ⭐
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✔✔जहाँ तक हमलोग जानते हैं । आजकल प्रदूषण की वजह से बहुत सारे जगहों पर गंदगी फैली हुई हैं। ये बात सिर्फ किसी मंदिर की नही हमारे पूरे सोसाइटी की बात है।
और रही बात इस गंदगी की कारण तो इसकी जिम्मेदार हमलोग ही हैं। मैंने आज तक कभी दिल्ली की मंदिर को कभी देखा तो नही हैं लेकिन अंदाजा लगा सकती हूं कि वो कितना गंदा होगा। दिल्ली के वजह से ये सब हो रहा है ।
मैं भी कोलकाता में रहती हूं लेकिन आजतक मैने कोई भी मंदिर को उतना खराब स्तिथि में नही देखा जैसे कि आप बता रहे हो।
★नालिया का टूटा हुआ होना इसके जिम्मेदार भगवान नही है। किसी न किसी तरह से हम ही है इसके जिम्मेदार ।
भिखारी भी अपनी पेट देखता । उसको भी चीज़ों की जरूरत होती है जीने के लिए । इसलिए इसमे उनकी कोई भी गलती नही है । उन लोगो को भी दो वक्त का रोटी चाहिए । इसमे लिए ज़िम्मेदार हमारा भारत सरकार है। जो सिर्फ कहता रहता है कि "गरीबी हटाओ हटाओ" अरे गरीबी तो तब हटेगी ना जब तुम उन्हें जिंदा रहने के लिए । दो वक्त का खाना दोगे , और अगर उन्हें खाना नही दोगे तो वो भिक्षा तो मांगेंगे ही ना।
हमलोग थोड़े से माध्यम कक्षा के लोग हैं तो सोचते है । जो व सरकार कर रही है सब ठीक है । हमलोग कभी भी उन गरीब लोगों के बच्चों के लिए नही सोचते है कि वो लोग क्या खाते होंगे कहा रहते होंगे ।। हमलोग सिर्फ ये सोचते है कि हमे क्या है हम तो अपनी जिंदगी ऐसो और आराम से गुजार रहे है । दुनिया जाए भाड में हमे क्या ।
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✔✔अब आपके सवालों के तरफ जाते है |
✔✬ये हमारी मर्ज़ी की भगवान को किस तरह से पूजे । चप्पल उतार कर जाए और नही । भगवान हमे ये नही कहते है कि मेरी दर्शन तुम्हें तभी नसीब होगा जब तुम चप्पल उतार कर आओगे । अरे भगवान तो उन्हें भी अपनी दर्शन करने देते है जो बहुत दिनों से नहाया भी नही हो । फिर चप्पल उतारना तो दूर की बात । उस टूटी हुई नालिया को भी हमने ही बनाया है । सब मनुष्य ही करते है और इल्ज़ाम भगवान के ऊपर लगाते है । गन्दगी का होना बिल्कुल भी ठीक नही है। लेकिन सोचो अगर नालिया नही होगी तो भगवान के ऊपर जो जल और दूध चढ़ाओगे वो कहा जायेगा। ऐसा तो नही की भगवान उसे पी लेंगे ।। कितना भी हो वो है तो एक प्रतिमा ही न ।
भीड़ का उमड़ना ये तो आम बात है। लोग तो भगवान के सामने जाने के लिए ऐसे लड़ते है जैसे कि मानो उनके भगवान जी कही भागे जा रहे हो। लेकिन ये गलत बात है । उस भीड़ में बहुत सारे बुजुर्ग और बच्चे होते है। इस भीड़ में उनकी जान भी जा सकती है।
उस वक़्त वो लोग ये नही कहेंगे कि भीड़ के कारण मौत हो गयी। कहेंगे कि भगवान ने उन्हें बुला लिया है । बल्कि भगवान तो हमारे माता - पिता जैसे होते है । वो हमें इतना जल्दी कैसे बुला सकते हैं।
ये दुनिया बहुत ही अजीब है। ।
✔★इसे श्रद्धा कहना बहुत गलत है। भगवान कभी भी ये सब देखकर खुश नही होते है उन्हें तो यही लगता होगा कि हम श्रद्धा के नाम पे उनपे इल्ज़ाम लगा रहे हैं ।
✔★ऐसी स्थिति का जिम्मेदार कोई नही होगा । इसका जिम्मेदार भी हम मनुष्य ही होंगे । क्या जरूरत है हमे उतनी भीड़ में माता जी का दर्शन करने का एक बार अपने अंदर झाक कर तो देखो भगवान तो हर मनुष्य के अंदर बसते है । सिर्फ देखने के लिए आँखो की जरूरत है ।।
✔★इसके लिए हमे साझेदारी से एक एक करके माता जी के दर्शन के लिए जाना चाहिए। हमे जल्दबाजी में भीड़ का निर्माण नही करना चाहिए।।
✔★मुझे नही पता मेरे विचार आपको अच्छे लगेंगे या फिर नही । मेरे अनुसार कोई भी श्रद्धा नही होती है। हमारे पास अगर कुछ ज्यादा है जो हम भगवान को चढ़ाना चाहते है अगर उसी को हम कुछ गरीब बच्चों में बाट दे तो उन्हें शायद ज्यादा खुशी । जितनी कि भगवान को ना हो। हमारे पास जो भी है सब उन्ही का दिया हुआ है। तो क्या हम उन चीज़ों को भगवान को वापस करने जाते है।
✬✬मैन आपको पहले ही बोल है कि गंदी और गरीबी भी हमने ही फैलाया है ।।
आजकल मनुष्य कुछ ज्यादा ही लालची हो गया । उन्हें सिर्फ किसी तरह से पैसे कमाने होते है । इसलिये वे चढ़ाये हुए नारियल को दुबारा बेचते हैं । मेरी नज़र में ये गलत नही हैं । क्योंकि चढ़ाये हुए नारियल को भगवान तो खायेंगे नही । इसलिए अगर कुछ गरीब लोग उस नारियल को दुबारा बेचकर लाभ उठाना चाहता है तो गलत क्या है।। ।।
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✬✬मुझे नही पता आपको मेरे विचार कैसे लगेंगे लेकिन यही सत्य है। ✬✬☺️
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आशा करती हूं आप समझ गए होंगे☺️✌️
धन्यबाद✌️
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✔✔जहाँ तक हमलोग जानते हैं । आजकल प्रदूषण की वजह से बहुत सारे जगहों पर गंदगी फैली हुई हैं। ये बात सिर्फ किसी मंदिर की नही हमारे पूरे सोसाइटी की बात है।
और रही बात इस गंदगी की कारण तो इसकी जिम्मेदार हमलोग ही हैं। मैंने आज तक कभी दिल्ली की मंदिर को कभी देखा तो नही हैं लेकिन अंदाजा लगा सकती हूं कि वो कितना गंदा होगा। दिल्ली के वजह से ये सब हो रहा है ।
मैं भी कोलकाता में रहती हूं लेकिन आजतक मैने कोई भी मंदिर को उतना खराब स्तिथि में नही देखा जैसे कि आप बता रहे हो।
★नालिया का टूटा हुआ होना इसके जिम्मेदार भगवान नही है। किसी न किसी तरह से हम ही है इसके जिम्मेदार ।
भिखारी भी अपनी पेट देखता । उसको भी चीज़ों की जरूरत होती है जीने के लिए । इसलिए इसमे उनकी कोई भी गलती नही है । उन लोगो को भी दो वक्त का रोटी चाहिए । इसमे लिए ज़िम्मेदार हमारा भारत सरकार है। जो सिर्फ कहता रहता है कि "गरीबी हटाओ हटाओ" अरे गरीबी तो तब हटेगी ना जब तुम उन्हें जिंदा रहने के लिए । दो वक्त का खाना दोगे , और अगर उन्हें खाना नही दोगे तो वो भिक्षा तो मांगेंगे ही ना।
हमलोग थोड़े से माध्यम कक्षा के लोग हैं तो सोचते है । जो व सरकार कर रही है सब ठीक है । हमलोग कभी भी उन गरीब लोगों के बच्चों के लिए नही सोचते है कि वो लोग क्या खाते होंगे कहा रहते होंगे ।। हमलोग सिर्फ ये सोचते है कि हमे क्या है हम तो अपनी जिंदगी ऐसो और आराम से गुजार रहे है । दुनिया जाए भाड में हमे क्या ।
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✔✔अब आपके सवालों के तरफ जाते है |
✔✬ये हमारी मर्ज़ी की भगवान को किस तरह से पूजे । चप्पल उतार कर जाए और नही । भगवान हमे ये नही कहते है कि मेरी दर्शन तुम्हें तभी नसीब होगा जब तुम चप्पल उतार कर आओगे । अरे भगवान तो उन्हें भी अपनी दर्शन करने देते है जो बहुत दिनों से नहाया भी नही हो । फिर चप्पल उतारना तो दूर की बात । उस टूटी हुई नालिया को भी हमने ही बनाया है । सब मनुष्य ही करते है और इल्ज़ाम भगवान के ऊपर लगाते है । गन्दगी का होना बिल्कुल भी ठीक नही है। लेकिन सोचो अगर नालिया नही होगी तो भगवान के ऊपर जो जल और दूध चढ़ाओगे वो कहा जायेगा। ऐसा तो नही की भगवान उसे पी लेंगे ।। कितना भी हो वो है तो एक प्रतिमा ही न ।
भीड़ का उमड़ना ये तो आम बात है। लोग तो भगवान के सामने जाने के लिए ऐसे लड़ते है जैसे कि मानो उनके भगवान जी कही भागे जा रहे हो। लेकिन ये गलत बात है । उस भीड़ में बहुत सारे बुजुर्ग और बच्चे होते है। इस भीड़ में उनकी जान भी जा सकती है।
उस वक़्त वो लोग ये नही कहेंगे कि भीड़ के कारण मौत हो गयी। कहेंगे कि भगवान ने उन्हें बुला लिया है । बल्कि भगवान तो हमारे माता - पिता जैसे होते है । वो हमें इतना जल्दी कैसे बुला सकते हैं।
ये दुनिया बहुत ही अजीब है। ।
✔★इसे श्रद्धा कहना बहुत गलत है। भगवान कभी भी ये सब देखकर खुश नही होते है उन्हें तो यही लगता होगा कि हम श्रद्धा के नाम पे उनपे इल्ज़ाम लगा रहे हैं ।
✔★ऐसी स्थिति का जिम्मेदार कोई नही होगा । इसका जिम्मेदार भी हम मनुष्य ही होंगे । क्या जरूरत है हमे उतनी भीड़ में माता जी का दर्शन करने का एक बार अपने अंदर झाक कर तो देखो भगवान तो हर मनुष्य के अंदर बसते है । सिर्फ देखने के लिए आँखो की जरूरत है ।।
✔★इसके लिए हमे साझेदारी से एक एक करके माता जी के दर्शन के लिए जाना चाहिए। हमे जल्दबाजी में भीड़ का निर्माण नही करना चाहिए।।
✔★मुझे नही पता मेरे विचार आपको अच्छे लगेंगे या फिर नही । मेरे अनुसार कोई भी श्रद्धा नही होती है। हमारे पास अगर कुछ ज्यादा है जो हम भगवान को चढ़ाना चाहते है अगर उसी को हम कुछ गरीब बच्चों में बाट दे तो उन्हें शायद ज्यादा खुशी । जितनी कि भगवान को ना हो। हमारे पास जो भी है सब उन्ही का दिया हुआ है। तो क्या हम उन चीज़ों को भगवान को वापस करने जाते है।
✬✬मैन आपको पहले ही बोल है कि गंदी और गरीबी भी हमने ही फैलाया है ।।
आजकल मनुष्य कुछ ज्यादा ही लालची हो गया । उन्हें सिर्फ किसी तरह से पैसे कमाने होते है । इसलिये वे चढ़ाये हुए नारियल को दुबारा बेचते हैं । मेरी नज़र में ये गलत नही हैं । क्योंकि चढ़ाये हुए नारियल को भगवान तो खायेंगे नही । इसलिए अगर कुछ गरीब लोग उस नारियल को दुबारा बेचकर लाभ उठाना चाहता है तो गलत क्या है।। ।।
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✬✬मुझे नही पता आपको मेरे विचार कैसे लगेंगे लेकिन यही सत्य है। ✬✬☺️
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आशा करती हूं आप समझ गए होंगे☺️✌️
धन्यबाद✌️
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swethapavs:
vareva!!!! superb answer ✌
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hey mate
I agree to your point
this is not good yae shardha nhi hoti
agar Ham Bari Bari mata ka matha tekke to usse koi problem nhi hogi aase to saas Leena mushkil ho jatta hai sabhi mandiro ka yahi hal hai aur yeh sab ham manushye ne hi kiya hai agar meri koi bhi baat buri lagi ho maaf karna
I agree to your point
this is not good yae shardha nhi hoti
agar Ham Bari Bari mata ka matha tekke to usse koi problem nhi hogi aase to saas Leena mushkil ho jatta hai sabhi mandiro ka yahi hal hai aur yeh sab ham manushye ne hi kiya hai agar meri koi bhi baat buri lagi ho maaf karna
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