हिन्दी हमारी मात्रभाषा नही मातृ एक भाषा बन कर रह गई हैं। विचार किजिए ।
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'हिंदी हमारी मातृभाषा नही मात्र एक भाषा बन कर राह गयी है' इस पंक्ति से मैं सहमत हूँ। ऐसा इसलिए है क्योंकि आजकल लोगो की विचारधारा है कि अंग्रेज़ी भाषा बोलने वाले बुद्धिमान और उत्तम श्रेणी के होते है। यह मानसिकता हमारे यहाँ ब्रिटिश लोगो के द्वारा आयी और इसको और मजबूत बनाने में अंग्रेज़ी माध्यम के विद्यालयों ने सहायता की। अंग्रेज़ी को ग्लोबल भाषा कहा जाता है। इस कारण लोग समझते है कि अंग्रेज़ी हिंदी से बड़ी भाषा है।
इतिहासकारो का मानना है कि सभी यूरोपीय भाषाएँ संस्कृत से आई हैं और हमारी हिंदी भाषा भी। तो इस हिसाब से हिंदी और सभी यूरोपीय भाषाएँ बराबर ही हैं। हिंदी हमारी मातृभाषा है। हमे हिंदी का पूरी तरह सम्मान करना चाहिए। मातृभाषा से लोगो की भावनाएं जुड़ी होती है पर अंग्रेज़ी को बढ़ावा देने से यह भावना खत्म हो रही है। वहीं जापान और चीन जैसे देश अपनी मातृभाषा का बहुत सम्मान करते है। वे लोग अंग्रेज़ी से ज्यादा महत्त्व अपनी भाषा को देते है। हमे भी खुद म् ये बड़कव लाने होंगे। लोगों का मानना है अगर तुम्हें अंग्रेज़ी नही आती तो तुम कुछ नही कर सकते पर ऐसा नही है। अंग्रेज़ी न आने से बड़ी शर्म की बात है कि तुम्हे हिंदी नही आती। वह हिंदी जो तुम्हारी मातृभाषा है। सरकार को चाहिए कि हिंदी को दक्षिण भारत समेत भारत के हर कोने में
अनिवार्य कर देना चाहिए। अंग्रेज़ी को राजभाषा के पद से हटा देना चाहिए ताकि लोग हिंदी के प्रति जागरूक हों।
तभी हमारी भाषा फिर से मातृभाषा बन पाएगी।
इतिहासकारो का मानना है कि सभी यूरोपीय भाषाएँ संस्कृत से आई हैं और हमारी हिंदी भाषा भी। तो इस हिसाब से हिंदी और सभी यूरोपीय भाषाएँ बराबर ही हैं। हिंदी हमारी मातृभाषा है। हमे हिंदी का पूरी तरह सम्मान करना चाहिए। मातृभाषा से लोगो की भावनाएं जुड़ी होती है पर अंग्रेज़ी को बढ़ावा देने से यह भावना खत्म हो रही है। वहीं जापान और चीन जैसे देश अपनी मातृभाषा का बहुत सम्मान करते है। वे लोग अंग्रेज़ी से ज्यादा महत्त्व अपनी भाषा को देते है। हमे भी खुद म् ये बड़कव लाने होंगे। लोगों का मानना है अगर तुम्हें अंग्रेज़ी नही आती तो तुम कुछ नही कर सकते पर ऐसा नही है। अंग्रेज़ी न आने से बड़ी शर्म की बात है कि तुम्हे हिंदी नही आती। वह हिंदी जो तुम्हारी मातृभाषा है। सरकार को चाहिए कि हिंदी को दक्षिण भारत समेत भारत के हर कोने में
अनिवार्य कर देना चाहिए। अंग्रेज़ी को राजभाषा के पद से हटा देना चाहिए ताकि लोग हिंदी के प्रति जागरूक हों।
तभी हमारी भाषा फिर से मातृभाषा बन पाएगी।
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