Hindi, asked by mahimamenda7647, 1 year ago

हिन्दी कविता Best evergreen poems of all time.

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Explanation:

हरि ने भीषण हुंकार किया,

अपना स्वरूप-विस्तार किया,

डगमग-डगमग दिग्गज डोले,

भगवान् कुपित होकर बोले-

‘जंजीर बढ़ा कर साध मुझे,

हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे।

यह देख, गगन मुझमें लय है,

यह देख, पवन मुझमें लय है,

मुझमें विलीन झंकार सकल,

मुझमें लय है संसार सकल।

अमरत्व फूलता है मुझमें,

संहार झूलता है मुझमें।

‘उदयाचल मेरा दीप्त भाल,

भूमंडल वक्षस्थल विशाल,

भुज परिधि-बन्ध को घेरे हैं,

मैनाक-मेरु पग मेरे हैं।

दिपते जो ग्रह नक्षत्र निकर,

सब हैं मेरे मुख के अन्दर।

चेतक की वीरता by Shyamnarayan Pandey

Few lines:

हाथी से हाथी जूझ पड़े¸  

भिड़ गये सवार सवारों से।  

घोड़ों पर घोड़े टूट पड़े¸  

तलवार लड़ी तलवारों से

हय–रूण्ड गिरे¸ गज–मुण्ड गिरे¸  

कट–कट अवनी पर शुण्ड गिरे।  

लड़ते–लड़ते अरि झुण्ड गिरे¸  

भू पर हय विकल बितुण्ड गिरे

क्षण महाप्रलय की बिजली सी¸  

तलवार हाथ की तड़प–तड़प।  

हय–गज–रथ–पैदल भगा भगा¸  

लेती थी बैरी वीर हड़प

Answered by arnav134
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हिन्दी कविता Best evergreen poems of all time.

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Explanation:

हरि ने भीषण हुंकार किया,

अपना स्वरूप-विस्तार किया,

डगमग-डगमग दिग्गज डोले,

भगवान् कुपित होकर बोले-

‘जंजीर बढ़ा कर साध मुझे,

हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे।

यह देख, गगन मुझमें लय है,

यह देख, पवन मुझमें लय है,

मुझमें विलीन झंकार सकल,

मुझमें लय है संसार सकल।

अमरत्व फूलता है मुझमें,

संहार झूलता है मुझमें।

‘उदयाचल मेरा दीप्त भाल,

भूमंडल वक्षस्थल विशाल,

भुज परिधि-बन्ध को घेरे हैं,

मैनाक-मेरु पग मेरे हैं।

दिपते जो ग्रह नक्षत्र निकर,

सब हैं मेरे मुख के अन्दर।

चेतक की वीरता by Shyamnarayan Pandey

Few lines:

हाथी से हाथी जूझ पड़े¸

भिड़ गये सवार सवारों से।

घोड़ों पर घोड़े टूट पड़े¸

तलवार लड़ी तलवारों से

हय–रूण्ड गिरे¸ गज–मुण्ड गिरे¸

कट–कट अवनी पर शुण्ड गिरे।

लड़ते–लड़ते अरि झुण्ड गिरे¸

भू पर हय विकल बितुण्ड गिरे

क्षण महाप्रलय की बिजली सी¸

तलवार हाथ की तड़प–तड़प।

हय–गज–रथ–पैदल भगा भगा¸

लेती थी बैरी वीर हड़प

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