हाय, वह अवधूत आज कहाँ है! ऐसा कहकर लेखक ने आत्मबल पर देह - बल के वर्चस्व की वर्तमान सभ्यता के संकट की ओर संकेत किया है। कैसे ?
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हाय वह अवधूत आज कहाँ है? ऐसा कहकर लेखक ने वर्तमान समय में आत्मबल के पतन और देह-बल (शारीरिक ताकत) की प्रमुखता से उत्पन्न संकट की ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया है।
आत्मबल
हमारी भारतीय सभ्यता में सदैव से ही आत्मबल पर ध्यान रखने के लिए कहा गया है | आत्मबल के माध्यम से एक व्यक्ति अपनी इंद्रियों और मन पर विजय पाने का प्रयास करता है |
देह-बल
देह-बल में शक्ति का प्रदर्शन होता है। अपने विरोधी को परास्त कर उसे गुलाम बनाना होता है।
आज मनुष्य में आत्मबल का अभाव हो चला है। आज मनुष्य मूल्यों को त्यागकर हिंसा, असत्य आदि गलत प्रवृत्तियों को अपनाकर ताकत का प्रदर्शन कर रहा है। ऐसी स्थिति किसी भी सभ्यता के लिए संकट के समान है |
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सतत विकास के महत्व को कारन सहित बताइये।
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