Haldaar sahab ko kasbo ke nagriko ka kaun sa prayas srahaniye laga aur kyo
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उत्तर :- ‘‘नेताजी का चश्मा' पाठ में शहर के मुख्य बाज़ार के मुख्य चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र की मूर्ति लगाई गई थी। मूर्ति संगमरमर की थी। दो फुट ऊँची, फ़ौजी वर्दी में नेताजी सुंदर लग रहे थे। मूर्ति को देखते ही 'दिल्ली चलो' और 'तुम मुझे खून दो... याद आने लगते थे । महत्व मूर्ति के रंग-रूप या कद का नहीं, उस भावना का है, जिस भावना से मूर्ति का निर्माण हुआ था। मूर्ति को देखते ही 'दिल्ली चलो' और 'तुम मुझे खून दो... याद आने लगते थे ।
वास्तव में यह नगरपालिका द्वारा सफल एवं सराहनीय प्रयास था। वास्तव में महत्त्व मूर्ति के कद या रंग रूप का नहीं था, उसके पीछे छिपी भावना का था इस मूर्ति के माध्यम से लोगों में देश प्रेम और देशभक्ति की भावना पैदा हो रही थी तथा नेताओं के प्रति श्रद्धा और सम्मान जागृत हो रहा था, वह सबसे अमूल्य एवं महत्त्वपूर्ण था। इस मूर्ति में एक ही कमी थी। नेताजी का चश्मा नहीं बनाया गया था। रियल चश्मा पहनाकर कैप्टन ने इस कमी को भी पूरा कर दिया था।
Answer:
नेताजी की मूर्ति शहर के मुख्य बाजार के मुख्य चौराहे पर लगाई गई थी। मूर्ति संगमरमर की थी और दो फुट ऊंची थी। फौजी वर्दी में होने के कारण नेताजी की मूर्ति और भी सुंदर लग रही थी । मूर्ति को देखते ही 'दिल्ली चलो' और 'तुम मुझे खून दो...' नारे याद आने लगते थे। महत्त्व मूर्ति के रंग रुप या कड़ का नहीं, उस भावना का है, जिस भावना से मूर्ति का निर्माण हुआ था। वास्तव में यह नगरपालिका द्वारा सफल एवं सराहनीय प्रयास था।