हम कार और विनम्रता में से क्या बनाओगे विचार लिखें
Answers
Answer:
जहाँ नम्रता से काम निकल जाए वहां उग्रता नहीं दिखानी चाहिए. – प्रेमचंद
जिनमें नम्रता नहीं आती, वे विद्या का पूरा सदूपयोग नहीं कर सकते. – महात्मा गांधी
अपना जीवन लेने के लिए नहीं, देने के लिए हैं. – विवेकानन्द
पूर्ण मनुष्य वहीं है जो पूर्ण होने पर और बड़ा होने पर भी नम्र रहता हो और सेवा में निमग्न रहता हो. – शब्दतरी
जो मनुष्य नम्र है और प्रभु की भक्ति करता है, उसको प्रतिफल में मिलता है – धन, सम्मान और दीर्घ जीवन. – नीतिवचन
नम्रता ने अपनी राह में आयें पत्थरों को भी मोम किया है. – अज्ञात
जो विनम्र है वही विश्व विजयी है. – चाणक्य
नम्रता से वह कार्य भी बन जाते है जो कठोरता से नहीं बन पाते. – महात्मा गांधी
विनम्रता शीघ्र उन्नति की चाबी है. – महात्मा गांधी
विनम्रता शरीर की अंतरात्मा है. – एडीसन
नम्रता की उंचाई नापने के लिए ब्रह्मांड का कोई भी मापक यंत्र सक्षम नहीं. – राजा ठाकुर
नम्रता दिखाते समय हम महान व्यक्तियों के समकक्ष हो जाते हैं. – रवीन्द्रनाथ ठाकुर
नम्रता सर्वोत्तम गुण है, क्योकि जो कार्य स्त्री सौन्दर्य दिखाकर कर सकती है, वही नम्रता कर सकती है. उसका प्रभाव तत्काल ही दूसरों पर पड़ता है. – प्रेमचंद
नम्रता के पीछे स्वार्थ हो तो वह ढोंग है. – बीचर
स्वाभिमानी भी वही श्रेष्ठ है जो विनम्रता को प्रथम स्थान पर रखता है. – शेक्सपीयर
वास्तविक महान पुरूष की पहली पहचान है उसकी नम्रता. – स्टेविस्ला लेक
आदर पाने के लिए मनुष्य को पहले विनम्र बनना पड़ता हैं. – नीतिवचन
जिसमें विनय नहीं, वह विद्वान् नहीं. – अष्टावक्र
झुके हुए वृक्षों से नसीहत मिलती हैं कि गुणों से सम्पन्न को विनम्र होना चाहिए. – राजस्थानी लोकोक्ति
नम्रता या विनय का कोई मूल्य नहीं है, लेकिन इसका लाभ अधिक हैं. वह मनुष्य जिसमें नम्रता नहीं, इंसान की शक्ल में जानवर हैं. – फ्रांसिस बेकन
गरीबी विनम्रता की परीक्षा और मित्रता की कसौटी है. – हैजलिट
किसी महान व्यक्ति की प्रथम परीक्षा उसकी नम्रता से लेनी चाहिए. – जॉन रस्किल
आत्मसम्मान की भावना ही नम्रता की औषधि है. – डिजरायली
नम्रता का अर्थ लचीलापन है, लचीलेपन में भी तनने की शक्ति है, जीतने की कला है और शौर्य की पराकाष्ठा है. – विनोबा भावे
विनम्रता जहां विद्या का प्रतिफल है, वहीं सुख का आधार भी है. जो जीवन में सुखी रहना चाहता है, उसे विनम्र होना ही पड़ेगा. – आचार्य वेदान्त तीर्थ
विनय समस्त गुणों की आधारशिला है. – कन्फ्यूशियस
धन्य है वो जो नम्र हैं, क्योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे. – आचार्य श्रीराम
असली सवाल यह है कि भीतर तुम क्या हो? अगर भीतर गलत हो, तो तुम जो भी करोगे, उससे गलत फलित होगा. अगर तुम भीतर सही हो, तो तुम जो भी करोगे, वह सही फलित होगा. – आचार्य रजनीश
नम्रता और धैर्य जीवन के मूलमंत्र हैं. – डी. पाल