Hindi, asked by kajal16, 1 year ago

hamari prathvi ko sabse bada khatra hamari is mansikta se he ki koi aur ise na bacha le

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Answered by BrainlyYoda
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Hey there ,  A similar answer is posted at http://brainly.in/question/629020   “हमारे ग्रह के लिए सबसे बड़ा खतरा यह विश्वास है कि कोई और इसे बचाएगा” भूमिका पूरे ब्रह्मांड में धरती ही एक ऐसा ग्रह है जहां जीवन संभव है I यहाँ पर जीवन के लिए जरुरी हर चीज मौजूद है I लेकिन कुछ दशकों से इन्सान ने तरक्की तो की लेकिन धरती के संतुलन को बिगाड़ दिया I  आज हर देश तरक्की करना चाहता है पर पृथ्वी के बिगड़ते संतुलन पर कोई भी राष्ट्र विशेष कार्य नहीं कर रहा है I हर कोई सोचता है कि इसे बचाने का काम कोई और करेगा पर वह और कौन? कौन बचाएगा धरती को?  धरती को खतरा ... To check the full answer visit the question http://brainly.in/question/629020

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Answered by kvnmurty
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         " हमारा  गृह  पृथ्वी  को बड़ा खतरा  ऐसा मानसिकता  है कि कोई और बचालेगा "

 

      अगर हम इस बात के बारे में सोचते हैं , इसका मतलब है कि  पिचले दो तीन सदियों में हम लोगों ने  हमारी प्यारी धरती को  कुछ न कुछ तरीके  से  बर्बाद करदिया है | इसका कारण यह हो सकता है की, कोई  कंट्रोल - नियंत्रता नहीं था, या तो  तकनीकी ज्ञान नहीं था या तो  कोई  इसके बारे में सोचा ही नहीं था |   अब यह वक्त आगया है  कि  हम सब लोग  "धरती माँ को बचाने की बात"  पर ध्यान दें  और यह भी देखें कि   कौन लोग और किस तरह से धरती को बर्बाद कर रहे हैं |

 

     अगर हम इस धरती पर रहते हैं, तो यही सही है कि  हम ही उसे बचाएं | कोई दूसरा है ही नहीं, जो हमारी इस धरती को बचाएगा |   अगर हम सोचते हैं की हम इसे गन्दा करेंगे, प्रदुषण फैलायेंगे और  कोई दूसरा है जो प्रदूषण हटाएगा,  गन्दगी निकलेगा  तो  यह मानसिक  रोग है, और  दुराशा है |   सदियों के हमारे कर्मों से समुन्दरों में निवास मछलियाँ  और दूसरे जंतु मर रहे हैं |  कुछ पक्षी जात भी ख़तम होगया है |  हिमालय और दूसरे  हिम पर्वत भी  घटने लगे हैं |  हिम बहाने लगा है समुन्दर में धीरे धीरे  और समुन्दर  धरती पर  बहकर आसपास के गाओं को दुबारहा है |   गरमी बढ़ गयी है |  और बढ़ते ही जा रहा है |



   
बहुत सारे उद्योग खेतों को पेड़ोंको  काटते हैं,  नदियों में सागरों में  केमिकल मिलाकर प्रदूषण करते हैं |   और सामान्य प्रजा को पूरा ज्ञान न होने के कारण वे ऐसे काम करते हैं कि उन से प्रदूषण फैलता है |   बहुत लोग गरीब होने के वजह से वे अपने घरों में चूल्हा जलाने के लिए लकड़ी (पेड़ों से काट कर) इस्तेमाल करते हैं | उसे जलाते हैं | इससे हवा में कार्बन मोनोऑक्साइड कार्बोन डाइऑक्साइड  मिल जाते हैं |   नदियों में  कपडे  साबुन के साथ धोते हैं | इस से साबुन के खराब केमिकल  पीने के पानी में मिल जाते हैं |



   
पृथ्वी को इस मानसिकता से बहुत बड़ा खतरा है | क्योकि आखिर कोई ठीक काम नहीं करेगा और सब लोग पर्यावरण , पानी , हवा सब चीजों को  बर्बाद कर देंगे |   इस सोच से हम लोगों को निकलना है |   इसी लिए  कुछ  व्यवस्थाएं लोगों के सोच को बदलने की कोशिश करते हैं | बच्चों को स्कूल में कालेज में पढ़ाई के रूप में  सारे विषय पढ़ाते हैं |



   पृथ्वी को खतरा है तो अनु संबंधी खचरा से, ग्रीनहाउस गासों से , पेट्रोल जलानेसे निकलते  हुए धूप से, केमिकल जो जहर होते है अगर पीने के पानी में मिलाये तो, अगर हम वन, वृक्ष नाश करें तो, कुछ खराब खाद जो खेतों में फसल ज्यादा होने के लिए डालते हैं - उनसे, और   प्लास्टिक थैलियोसे जो पानी को ख़राब करते हैं और खाने की चीजों को भी ख़राब करते हैं |    और भी है  जैसे कि  इलेक्ट्रोनिक  खचरा (इ-वेस्ट) |



    कुछ सालों से उद्योगपति भी  बदल रहे हैं | नयी नयी गाडियां जो प्रदूषण नहीं करते हैं  बनाने लगे हैं |  और  आजकल  सोलार परिकरण, वाहन, सोलार  विद्य्क्ति (बिजली) के उपकरण  भी बन रहे हैं |   भारत में तो  बदलाव आने लगा है | लेकिन कुछ आफ्रीका के  कुछ जगहों में  अभी भी कुछ पुराने आदत  और प्राक्टीस  चल रहे हैं |  इनको बदलना है | 

 

    नयी सोच आने मैं  और दुनिया के सारे लोगों में बदलाव आने में बहुत लम्बा  समय तो लगेगा | क्योंकि इसके लिए पैसे तो  बहुत ज्यादा लगेगा और नए तकनीकी की आवश्यकता  होगी |  हम आजकल तो "पृथ्वी दिन" (Earth Day) मनाते हैं |   स्कूलों में प्रत्योगिताओं का निर्वहण करते हैं | दुनिया के  कुछ सरकार मिलकर  पर्यावरण और जंतु जाल के आरक्षण के लिए  कुछ  नियम, दिशा-निर्देश भी बनाएं हैं |    धीरे धीरे यह सब  लागू होंगे |  



    मैं यही आशा करूँगा कि सब लोग अपना कर्तव्य ये समझे कि  जैसे हम अपना घर सँभालते हैं  गिरने से , बर्बाद होने से,  वैसे ही  धरती माँ को भी समझे और बचाएं |

 

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