Hindi, asked by bhupenchauhan74, 7 months ago

हर बार जब मैं या रजा साहब पेंटिंग पूरी करते तो सबसे पहले एक-दूसरे को दिखाते थे। दोनों एक-दूसरे के
ईमानदार समालोचक थे। हमने मुंबई, लंदन, पेरिस और न्यूयॉर्क में साथ-साथ प्रदर्शनियाँ की पर कभी कोई
विवाद नहीं हुआ। यह उनके स्नेह व अपनेपन के कारण ही था। हिंदी, उर्दूतो हमेशा से ही बहुत अच्छी रही
है उनकी। अंग्रेजी-फ्रेंच भी वे बहुत अच्छी लिखते थे। कविताओं से बहुत प्यार था उन्हें । शेर-गजल व
पुराने
हिंदी फिल्मी गाने बड़े प्यार से सुनते थे। एक डायरी रखते थे अपने पास । हर सुंदर चीज को लिख लिया करते
उसमें। मेरी बेटी हेलेना बहुत खूबसूरत हिंदी बोलती थी तो उन्हें बहुत गर्व होता था। वे हमेशा उसके साथ शुद्ध
हिंदी में ही बात करते । रजा साहब को अच्छा खाने का बहुत शौक था पर दाल-चावल, रोटी-आलू की सब्जी
में जैसे उनकी जान अटकी रहती थी। मैं हफ्ते में एक बार भारतीय शाकाहारी खाना बनाकर भेजती थी उनके
लिए, उनके फ्रांसीसी दोस्तों के लिए।

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Answered by therebel44
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