हर क्षेत्रीय आंदोलन अलगाववादी मांग की तरफ अग्रसर नहीं होता I इस अध्याय से उदाहरण देकर तथ्य की तथ्य की व्याख्या कीजिए I
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साल 2017 में स्पेन का कैटलोनिया प्रांत और इराकी कुर्दिस्तान स्वतंत्रता की मांग के कारण चर्चा में रहे. कैटलोनिया प्रांत के नेताओं ने तो खुद ही जनमतसंग्रह करवाकर स्पेन से आज़ाद होने की एकतरफा घोषणा कर दी मगर स्पेन ने उसे अलग होने नहीं दिया.
यह घटनाक्रम पूरी दुनिया के लिए अहम था क्योंकि कई देशों के अंदर अलग राष्ट्र की मांग उठती रही है. कहीं पर ऐसी मांग करने वालों को ताकत के दम पर दबाया जाता है तो कहीं स्वायत्ता और अधिकार देकर मनाया जाता है.
मगर अलग देश की मांग नई नहीं है. पिछले कई सालों से दुनिया के कई हिस्सों में लोग अपने लिए नए और स्वतंत्र देश की मांग कर रहे हैं.
कश्मीरी, बलोच, पख़्तून और इराक़ी कुर्द लंबे समय से अपने लिए अलग राष्ट्र की मांग कर रहे हैं. श्रीलंका में भी कई सालों तक तमिल देश के लिए हिंसक संघर्ष चला.
यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में लोग अपने लिए अलग मुल्क चाहते हैं, चेचेन्या में भी अलग देश की मांग कायम है. यूरोप की बात करें तो कैटलोनिया ही आज़ादी नहीं चाहता, स्कॉटलैंड में भी बड़ा तबका ग्रेट ब्रिटेन से अलग होने की भावना रखता है.
क्षेत्रीय आकांक्षाएं लोकतांत्रिक राजनीति का हिस्सा हैं, इनकी अभिव्यक्ति कोई असामान्य घटना नहीं है। क्षेत्रीय आंदोलनों का जवाब दमन के बजाय लोकतांत्रिक वार्ता के माध्यम से दिया जाता है। इसके उदाहरण अस्सी के दशक में हैं, पंजाब में, उत्तर-पूर्व में असम और कश्मीर घाटी में देखा जा सकता है। भारत सरकार ने कई क्षेत्रों में तनाव को कम करने के लिए इन क्षेत्रीय आकांक्षाओं के साथ कुछ समझौता अवश्य किए हैं। अलगाव की समस्या को प्रभावी ढंग से हल करने के लिए मिजोरम एक उदाहरण है।