हर्षवर्धन के बारे में संक्षिप्त वर्णन करें।
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हर्षवर्धन प्राचीन भारत का एक प्रसिद्ध हिंदू सम्राट था। हर्षवर्धन के शासन का कालक्रम 590 ईस्वी से 647 ईस्वी तक का रहा है। हर्षवर्धन का उत्तरी भारत में एक मजबूत और विशाल व सदृढ़ साम्राज्य था। हर्षवर्धन के पिता का नाम प्रभाकर वर्धन था और हर्षवर्धन का एक बड़ा भाई राज्यवर्धन और बहन राज्यश्री थी। पिता की मृत्यु के बाद राज्यवर्धन सिंहासन पर आसीन हुआ। शत्रुओं के षड्यन्त्र के कारण राज्यवर्धन मारा गया। जिस समय हर्षवर्धन राजगद्दी पर बैठा तब उसके राज्य की स्थिति अच्छी नहीं थी। गौड़ (बंगाल) के राजा शशांक ने उसके भाई राज्यवर्धन को की हत्या कर दी थी और उसकी छोटी बहन राज्यश्री अपने प्राणों की रक्षा के लिए किसी अज्ञात जगह पर चली गई थी। हर्षवर्धन ने किसी तरह अपनी बहन को ढूंढ निकाला और कामरूप के राजा भास्कर वर्मा से संधि करके शशांक के विरुद्ध विशाल सेना खड़ी कर दी।
हर्षवर्धन ने कुशलता पूर्वक साम्राज्य को संभाला और अपने साम्राज्य का विस्तार किया। हर्ष के साम्राज्य की सीमाएं उत्तर में हिमालय पर्वतों से लेकर दक्षिण में नर्मदा नदी के तट तक थी तो पूर्व में गंजाम से लेकर पश्चिम में बल्लभ तक विस्तृत थीं। हर्ष के विशाल साम्राज्य की राजधानी कन्नौज थी। हर्ष ने महाराजधिराज की पदवी भी धारण की थी।
हर्षवर्धन आरंभ में शिव और सूर्य का उपासक था, लेकिन बाद में उसने बौद्ध धर्म को अपना लिया। हर्षवर्धन के दरबार में बाणभट्ट, मयूर, सुबंधु, मातंग, दिवाकर, ईशान जैसे विद्वानों थे हर्षवर्धन के काल में ही चीनी यात्री विद्वान ह्वेनसांग भी भारतभ्रमण पर आया था। हर्षवर्धन स्वयं एक अच्छा विद्वान था और उसने भी संस्कृत में कुछ नाटकों की रचना की थी। जिनके नाम नागानंद, रत्नावली और प्रियदर्शिका है।