शक शासकों के बारे में व्याख्या करें।
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शक मध्य एशिया की एक लड़ाकू जनजाति थी। जिन्होंने पश्चिमी अफगानिस्तान और बलूचिस्तान पर कब्जा कर लिया। वहां से वह 71 ईसवी पूर्व में भारत आ गए। भारत के अनेक ग्रंथो में शकों के आक्रमण का उल्लेख मिलता है। जिसमें उन्हें सगकुल कहा गया है। उन्होंने सिंधु प्रदेश को जीतकर सौराष्ट्र में शक शासन की स्थापना की थी।
अनेक मुद्राओं और लेखों से ज्ञात होता है कि शकों की एक शाखा ने उत्तरापथ और मथुरा में अधिपत्य स्थापित कर लिया था। शक लोग अवंती, सौराष्ट्र और महाराष्ट्र में भी फैल गये। तक्षशिला के शक शासकों में मावेज एवं एजेस के नाम आते हैं। तक्षशिला में पल्लवों ने शकों का समूल नाश किया और मथुरा में शकों का नाश कुषाणों द्वारा हुआ। पश्चिमी भारत में शक क्षहरात वंश के भूमक तथा नहपान दो शासक ज्ञात हैं। इन शकों ने सातवाहनों से कुछ प्रदेश जीते और महाराष्ट्र, काठियावाड़ और गुजरात पर शासन किया। नहपान के समय भारत तथा पश्चिमी देश के बीच समृद्ध व्यापारिक संबंध कायम थे। नहपानप गौतमीपुत्र शातकर्णि से पराजित हुआ था। उज्जायिनी तथा काठियावाड़ के शक शासकों में चस्टन का नाम आता है, जिसने उज्जयिनी में शक राजवंश की स्थापना की थी। इस वंश के शासकों ने अपने लेखों तथा मुद्राओं में शक संवत का प्रयोग किया था।