Hindi essay on parishram hi safalta ka sopan hai
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परिश्रम ही सफलता का सोपान है
परिश्रम ही सफलता का मार्ग है यह कहना बिल्कुल सही है। किसी भी इंसान को बिना पुरुषार्थ किए अर्थात बिना मेहनत किए कभी कुछ नहीं मिला है।
किसी भी व्यक्ति की केवल सपना देखने से कभी कुछ नहीं प्राप्त हुआ है। अपने सपने की हासिल करने के लिए हमें परिश्रम की आवश्यकता होती है।
हमें अगर अपने जीवन में सफलता पाना है तो उसके अनुसार मेहनत भी करना होगा। एक विद्यार्थी जब तक मेहनत से पढ़ाई नहीं करता उसे अच्छे अंक नहीं प्राप्त होते हैं।
एक खिलाड़ी जब तक मेहनत से पसीना नहीं बहता तब तक वह अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाता है। इसलिए हम सभी को मेहनत करना चाहिए ताकि हमें सफलता प्राप्त हो।
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विमल, अपनी पत्नी और 5 साल के बेटे कृष्णा के साथ एक हिलस्टेशन पर छुट्टियाँ मनाने गया था। वे तीनों खूब एन्जॉय कर रहे थे, पहाड़ियों की सैर, वहां का शांत वातावरण, ऐसे लग रहा था कि वे तीनों किसी स्वर्ग पर हों। बेटा कभी अपने पापा का हाथ पकड़े तो कभी मम्मी की गोदी में सोये सैर का मजा ले रहा था। वहां के वातावरण ने 5 साल के कृष्णा का मन मोह लिया था, वह अपने माता-पिता के साथ बहुत खुश था। उन्होंने अपनी छुट्टियाँ खूब एन्जॉय की और घर जाने के लिए वे रेलवे स्टेशन पहुँचे। स्टेशन पहुंचकर विमल ने सोचा कि रास्ता बहुत लम्बा है इसलिए कुछ खाने के लिए पकड़ लिया जाए, यह सोचकर वह कुछ स्नैक्स खरीदने के लिए एक दूकान पर चला गया। कृष्णा अपनी मम्मी के साथ खड़ा था, अचानक स्टेशन पर बहुत भीड़ इकठ्ठा हो गयी, कृष्णा भीड़ में कहीं गुम हो गया। मम्मी ने जब कृष्णा को अपनी नजरों के सामने नहीं पाया तो वह बहुत बेचैन हो गयी, उसकी नजरें कृष्णा को ही खोजती रहीं। कुछ देर बाद जब विमल आया और उसकी पत्नी के साथ बेटे को खड़ा न पाकर वह बहुत घबरा गया और कृष्णा के बारे में पूछने लगा। स्टेशन पर दोनों अपने बेटे को खोजते रहे, दोनों ही बहुत परेशान थे और रो रहे थे, उनकी आँखों से आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। 2 घंटे तक रो-रोकर उनका बुरा हाल था, उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए! तभी रेलवे के पुलिस सहायता केंद्र से जानकारी मिली कि उनका बच्चा सुरक्षित है और उनके पास है। वे दोनों दौड़ते हुए पुलिस सहायता केंद्र पहुँचे और अपने बेटे को गले लगा लिया। उनका बेटा कृष्णा भी बहुत डरा हुआ था, अपने पेरेंट्स को सामने पाकर उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गयी। कृष्णा को लेकर वे रेलवेस्टेशन पर पहुँचे और इस बार विमल ने अपनी पत्नी से कहा, मैं घर जाने के लिए टिकट लेकर आता हूँ, तुम कृष्णा का हाथ पकड़ी रहो और उसे मत छोड़ना। ऐसा कहकर विमल टिकिट काउंटर की तरफ आगे बढ़ गया और कुछ ही देर में टिकिट लेकर वापिस आ गया।
“चलो प्लेटफोर्म नम्बर 4 पर हमारी ट्रेन आने वाली है, विमल अपनी पत्नी से बोला।” “लेकिन हमारी ट्रेन तो प्लेटफोर्म नम्बर 2 पर आ रही है ? उसकी पत्नी ने विमल से कहा।”
हमारी ट्रेन प्लेटफोर्म नम्बर 4 पर आ रही है क्योंकि अब हम मुंबई नहीं अपने गांव बिहार जा रहे हैं। – विमल ने कहा।
लेकिन अचानक आपने प्लान क्यों बदल लिया और हम बिहार क्यों जाएँगे? –पत्नी बोली।
जरा सोचो, हम अपने बेटे को 2 घंटे भी अपनी आँखों से दूर नहीं कर सकते, थोड़ी देर के लिए ही जब वो हमसे दूर हुआ तो हम कितना परेशान हुए थे, खूब रोये थे। जब हमारे 5 साल के बेटे को 2 घंटों के लिए हम अपनी आँखों से दूर नहीं कर सकते, इतना परेशान हो सकते हैं तो जरा सोचो, मेरे उस माता-पिता का क्या हाल हो रहा होगा जिन्होंने इतने वर्षों से मुझे नहीं देखा! जो मेरी एक झलक के लिए तरस रहे होंगे। इतने साल हो गये, न तो मैंने उनसे बात की और न ही मुझे उनका हाल-चाल पता है। बचपन से लेकर जवानी तक कभी भी मेरे माता-पिता ने मेरा हाथ नहीं छोड़ा, लेकिन जब मैं बड़ा हुआ और सफल हुआ तब मुझे लगने लगा कि मैं अब बड़ा हो चूका हूँ, बड़ा बन चूका हूँ इसलिए मैंने उनका हाथ व साथ छोड़ दिया। क्या उन्होंने मुझे इसीलिए बड़ा किया था कि मैं अपनी अलग दुनिया बसा सकूँ, उनका साथ छोड़ सकूँ। अब मुझे अपनी गलतियाँ समझ आ रही हैं, इसलिए अब हम उनके पास जाएँगे, उनसे अपनी गलतियों की माफ़ी मांगेंगे, उन्हें हमारे साथ की जरूरत है, और मुझे भी उनके साथ की। ऐसा कहकर विमल भावुक हो गया।
वे दोनों अपने बेटे के साथ बिहार की ट्रेन पकड़कर अपने माता-पिता से मिलने के लिए चले गये।
दोस्तों, हमारी सबसे बड़ी सफलता हमारे माता-पिता हैं। आज बहुत सारे लोग सफल होने के बाद अपने माता-पिता को भूल जाते हैं, उनसे अलग रहने लगते हैं, उन्हें छोड़कर चले जाते हैं, याद रखिये ऐसी सफलता का कोई मोल नहीं जो आपको अपने माता-पिता से दूर करे। इस दुनिया में और हमारे देश में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो अपने माता-पिता का अनादर करते हैं, उनको सम्मान नहीं देते, उनके दिल को चोट पहुँचाते हैं, आप कितने भी बड़े ओहदे पर हों यदि आपके माता-पिता के लिए आपका व्यवहार रुखा है, आप उनकी रेस्पेक्ट नहीं करते, तब बड़ी से बड़ी सफलता पाकर भी आप अपनी असल जिंदगी में फेल साबित होंगे।
आपने लास्ट टाइम अपने पेरेंट्स के साथ क्वालिटी टाइम कब बिताया था! क्या आप अपने माता-पिता के साथ कहीं बाहर घुमने गये हैं, क्या आप उनके साथ अपने छोटे-छोटे हैप्पी मूवमेंट एन्जॉय करते हैं! ऐसी बातें हमारे लिए बहुत मायने रखती हैं। इस छोटी-सी जिंदगी में जितना संभव हो अपने पेरेंट्स को दुनिया की सारी खुशियाँ देने की कोशिश करें, माता-पिता और बड़े बुजुर्गों का सम्मान करें क्योंकि यही सच्ची सफलता है।