hindi passage on ahankar
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अहंकार अथवा घमंड को हम कोई अन्य नाम देना चाहे तो इसे बीमारी अथवा दीमक की उपमा दे सकते हैं. जिस तरह बीमारी के रोगाणु दिनोंदिन शरीर को क्षीण कर एक दिन समाप्त कर देते हैं. अहंकार भी उसी अनुरूप व्यक्ति को ऐसे नशे में मदहोश कर देता है वह व्यक्ति को न केवल सच्चाई से परे एक कल्पना लोक में ले जाता हैं बल्कि जीवन के लिए असमायोजन करने वाली विकट स्थितियों को भी जन्म दे देता हैं.
जीवन में दुःख का पर्याय अहंकार ही हैं. व्यक्ति अपने अहम भाव के कारण सभी से स्वयं को श्रेष्ठ तथा हर क्षेत्र में ज्ञान, शक्ति से सम्पन्न मानने लगता हैं. वह इस नशे में इस हद तक डूबा रहता है कि दूसरों के ज्ञान, अनुभव, सलाह का उपयोग करने की कभी जरूरत ही नहीं समझता हैं. संसार में अनगिनत जीव है उनमें से सबसे कमजोर जीव में भी एक जबर्दस्त खूबी होती है वो है अनुकरण. जिसके सहारे वह अपनी क्षमता में वृद्धि करता जाता हैं. मगर अहंकारी इंसान कभी किसी के अनुकरण को स्वीकार नहीं करता हैं.
जहाँ अहंकार का वास होता है वहां नम्रता, बुद्धि, विवेक, चातुर्य कोई गुण विद्यमान नहीं होगा. घमंड जिस इंसान पर हावी होता है वह सबसे पहला काम भी यही करता है कि अन्य गुणों का प्रवेश न हो. व्यर्थ के अहं भाव के कारण उसकी नजर में हमेशा सब लोग नीचे एवं निम्न स्तर के होते हैं. वह सदैव दूसरों की राह में बाधाएं उत्पन्न कर प्रसन्नता पाता है तथा औरों को गिराकर अपनी राहे बनाता हैं.
जैसे जैसे अहंकारी व्यक्ति का ओहदा बढ़ता जाता है उसी अनुरूप उसका दम्भ भी वृद्धि करने लगता हैं. सत्ता, धन आदि के नशे में इस कद्र मशगूल रहता है कि वह कभी कल्पना नहीं कर पाता है कि एक दिन उसका भी पतन होगा, जीवन में कठिनाईयाँ आएगी तथा उस समय उसके साथ खड़े होने वाला कोइ नहीं होगा. एक अभागे इंसान स्वरूप उन्हें एकांकी रहकर कष्टों के बीच जीवन यापन करते हुए अन्तः पतन को प्राप्त होना होगा. कितना भी अच्छे व्यक्तित्व वाला इंसान हो यदि वह अहंकारी है तो उसके समस्त गुण उस तरह धुंधले हो जाते है जिस तरह धधकते अंगारों पर जमी राख की परत अग्नि को धुंधला कर जाती है
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