Hindustan me hindi ka sthan essay
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हिंदुस्तान में हिंदी भाषा बहुत महत्व है |
हिंदी केवल एक भाषा ही नहीं एक सांस्कृतिक विरासत बन चुकी है । वैश्वीकरण के इस युग में जब भाषाओं का अस्तित्व समाप्त होता जा रहा है और गिनी चुनी भाषाएं हैं बची रह जा रही हैं। ऐसे में हिंदी का महत्व और बढ़ जाता है। हिंदी इतनी सरल और सहज भाषा है कि यह किसी के भी द्वारा आसानी से सीख ली जाती है। हिंदुस्तान में इस समय 22 आधिकारिक भाषाएं हैं जिन्हें संविधान की सूची में स्थान दिया गया है। लेकिन हिंदी ऐसी भाषा है तो पूरे हिंदुस्तान में लगभग 80% लोगों द्वारा समझ ली जाती है केवल दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में हिंदी समझने में कठिनाई होती है नहीं तो पूरे भारत में हिंदी को आसानी से समझ व बोल लिया जाता है।
हिंदी हिंदुस्तान के अनेक राज्यों की राज्य भाषा है जिसमें उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड आदि राज्य हैं और इसके अतिरिक्त गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, बंगाल, जम्मू-कश्मीर आदि राज्यों में हिंदी द्वितीय भाषा के रूप में अच्छी खासी लोकप्रिय है और यहां के लोगों द्वारा यह भाषा अच्छी तरह समझ ली जाती है।
हिंदी इंटरनेट पर भी अब पूरी तरह छा गई है और हिंदी के हर समाचार पत्र की वेबसाइट इंटरनेट पर मौजूद है। हिंदी के हर समाचार चैनल की भी वेबसाइट हिंदी पर मौजूद है। हिंदी पर आज के समय में सैकड़ों ब्लॉग लिखे जाते हैं। हिंदी के हजारों वेब पोर्टल हैं।
प्रिंट माध्यम में देखें तो हिंदी के समाचार पत्रों की प्रसार संख्या पूरे भारत में सबसे ज्यादा है। हिंदी भारत के लगभग 49% लोगों द्वारा बोली जाती है और पूरे विश्व में लगभग 80 करोड़ लोगों द्वारा हिंदी बोल व समझ ली जाती है। संख्या की दृष्टि से नजर डालें तो हिंदी पूरे विश्व में तीसरी सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा है।
इन सब तथ्यों से हिंदी का महत्व समझ में आता है। भले ही आज के समय में दक्षिण भारत के कुछ राज्यों द्वारा हिंदी का घोर विरोध किया जाता हो। लेकिन हिंदी अपने बल पर आगे बढ़ रही है और हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जो पूरे देश को जोड़ कर रख सकती है।
हिंदी ही पूरे हिंदुस्तान की एकमात्र संपर्क भाषा बन सकती है। अन्य कोई भाषा हिंदी के आसपास भी नहीं फटकती। जो हिंदी को किसी भी तरह की चुनौती दे सके यह बात सबको समझ लेनी चाहिए।
इसलिए हिंदी का भारत में सदैव स्थान ऊँचा ही रहेगा और हिंदी का लोग जितना विरोध करेंगे वह उतनी ही आगे बढ़ेगी।