How you celebrate dussehra in hindi
Answers
शुक्ल पक्ष प्रितिपदा से हिंदू चंद्र कैलेंडर (सितंबर या अक्टूबर) के अनुसार, या भद्रपदा में आने वाले दिन, दशामी को, या दिन के बाद, अश्वन के महीने में दस दिन के लिए उत्सव मनाया जाता है। अश्विन के दसवें दिन दशहरा के पूर्ववर्ती नौ दिन सामूहिक रूप से 'नवरात्री' के रूप में जाना जाता है और माता देवी, शक्ति की पूजा करने के लिए समर्पित हैं। बंगालियों के लिए, दशहरा एक अपने सबसे महत्वपूर्ण महोत्सव दुर्गा पूजा का हिस्सा है, जिसमें देवी दुर्गा का माता देवी का अवतार है, जो महान धार्मिक उत्साह से भक्त है और विजयादशमी के दिन उसकी मूर्तियों को जलमग्न जलते हुए दिखाया जाता है। केरल और तमिलनाडु के दक्षिणी राज्यों में, दिन (दसरे) में अधिकांश घरों में सरस्वती पूजा का आयोजन किया जाता है और छोटे बच्चों की शिक्षा इस शुभ दिन से शुरू होती है, जिसे 'विद्या आर्मंबम' कहा जाता है। मैसूर दशहरा अपनी भव्यता के लिए भी जाना जाता है। इस प्रकार, इस पवित्र हिंदू त्योहार को मनाते हुए नाम या देश भर में भिन्न हो सकता है, परन्तु यह सब बुराइयों पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाता है।
दशहरा (विजयादशमी या आयुध-पूजा) हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। अश्विन (क्वार) मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन होता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था तथा देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त किया था। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिये इस दशमी को 'विजयादशमी' के नाम से जाना जाता है (दशहरा = दशहोरा = दसवीं तिथि)। दशहरा वर्ष की तीन अत्यन्त शुभ तिथियों में से एक है, अन्य दो हैं चैत्र शुक्ल की एवं कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा।
इस दिन लोग शस्त्र-पूजा करते हैं और नया कार्य प्रारम्भ करते हैं (जैसे अक्षर लेखन का आरम्भ, नया उद्योग आरम्भ, बीज बोना आदि)। ऐसा विश्वास है कि इस दिन जो कार्य आरम्भ किया जाता है उसमें विजय मिलती है। प्राचीन काल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। इस दिन जगह-जगह मेले लगते हैं। रामलीला का आयोजन होता है। रावण का विशाल पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है। दशहरा अथवा विजयदशमी भगवान राम की विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा के रूप में, दोनों ही रूपों में यह शक्ति-पूजा का पर्व है, शस्त्र पूजन की तिथि है। हर्ष और उल्लास तथा विजय का पर्व है। भारतीय संस्कृति वीरता की पूजक है, शौर्य की उपासक है। व्यक्ति और समाज के रक्त में वीरता प्रकट हो इसलिए दशहरे का उत्सव रखा गया है। दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है।[1]