Hindi, asked by iamavish3655, 1 year ago

I want the summary of the lesson kichad ka kavy ?

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Answered by prakashanand1
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'कीचड़ का काव्य' पाठ में लेखक काका कालेलकर ने कीचड़ के गुणों और महत्व का वर्णन किया है। उनके अनुसार लोग कीचड़ को देखकर मुँह बिगाड़ने लगते हैं, नाक को सिकोड़ने लगते हैं। परन्तु यह भूल जाते हैं कि यह कीचड़ कितनों गुणों से भरा हुआ है? हमारे लिए यह कितना उपयोगी है? लेखक के अनुसार कीचड़ में ही कमल का फूल खिलता है, जिसे हम भगवान पर चढ़ाते हैं। कीचड़ के कारण ही हमारे लिए अन्न की व्यवस्था हो पाती है क्योंकि यह कीचड़ में से ही उगता है। आधुनिक जीवन में तो लोग कीचड़ के समान रंग को अपनी दीवारों पर लगवाते हैं। कार्ड पर, किताबों पर और कीमती फूलदान आदि पर इसी रंग का प्रयोग किया जाता है। उसे वह कला का सुंदर रूप मानते हैं। कीचड़ से आखिर घृणा क्यों की जाती है। लेखक को लोगों द्वारा कीचड़ की इस अनदेखी पर बहुत दुख होता है। वह यही कोशिश करते हैं कि इस पाठ को पढ़ लेने के बाद लोग शायद कीचड़ के विषय में अपनी सोच बदल लेगें।
Answered by nandini241
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लेखक इस पाठ में यह चुनौतीपूर्ण बात कहता है कि हम सभी आकाश, पृथ्वी, सूर्य, चंद्र, तारे, बादल और न जाने कितने तरह की वस्तुओं के वर्णन करते हैं लेकिन कीचड़ का वर्णन कोई नहीं करता क्योंकि लोग कीचड़ को प्रारंभ से ही हेय समझते आए हैं। कीचड़ में पाँव डालना या हाथ से छूना तो दूर, लोग कीचड़ का संर्पक किसी भी रूप में नहीं चाहते हैं। कीचड़ को प्रायः लोग वज्र्य मानते हैं। यहाँ तक कि बुरी संगति या बुरे मित्रों की बात करने में लोग उसकी उपमा कीचड़ से देते हैं।

लेखक कीचड़ की अच्छाई की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहते हैं कि कमल भी कीचड़ में ही खिलते हैं। पूरे देश और पूरी दुनिया को खाद्यान्न भी कीचड़ से ही प्राप्त होता है। कीचड़ में लेखक सौंदर्य के भी दर्शन करते हैं । इसके लिए वे सबसे महत्वपूर्ण स्थान खंभात को मानते हैं, जहाँ मीलों पसरे हुए कीचड़ का अपना सौंदर्य भी है और अपना अस्तित्व भी है। उस पर छोटे पक्षियों के नाखून और अँगूठे के निशान द्रष्टव्य हैं तो कुछ ठोस होने पर जानवरों के पंजों और खुरों के नाखून भी ऐतिहासिक महत्व के हैं। वैसे स्थान में कीचड़ के स्टेटस की बात अगर की जाए तो वह अपने अंदर बड़े-बड़े हाथियों को तो लील ही सकता है, पर्वतों को भी समा सकता है।

लेखक अंत में यह भी आशंका व्यक्त करते हैं कि लोग यह र्तक दे सकते हैं कि चूँकि हीरा कोयले से प्राप्त होता है, इसलिए कोयले का मोल हीरेके बराबर नहीं हो जाता। अगर यह र्तक माना ही जाए, तब तो करोड़ों टन अनाज के कीचड़ से उत्पन्न होने के बाद भी कीचड़ उपेक्षित और घृणा के योग्य ही रह जाएगा।

इस पाठ से हमें एक सीख लेनी चाहिए कि साहित्यकार घिसी-पिटी लीक पर नहीं चलता। वह व्यक्ति प्रखर साहित्यकार माना जाता है जो लीक से हटकर सृजन करता है। यहाँ काका साहब ने गुलाब, कमल, बादल, चंद्रिका आदि के वर्णन से अलग हटकर कीचड़ का वर्णन किया है।

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