I want the summary of the poem unko pranam by nagarjuna
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"Unko pranam kavita main Baba Nagarjuna un sabhi logon ko pranam kerte hai jo kisi lakhya ke liye aage badhe jo jeete unko pranam,jo haare unko pranam aur jinhone apne lakya ki prapti karte karte jaan di unko bhi pranam.Kavi ka tatperya hai ki sirf jeetna zaruri nhi per aapne koshish kari wahi ek bada mahetva rakhta hai.Kai log ek lakshya jeetna chahte hai per haar ke darr se ja kisi khatre ke karan koshish bhi nhi kerte.Saransh ye hai ki chahe jeeto ya haaro per tumhare koshish kerne ke sahas ko koti koti pranam hai.Bohot log her saal Everest ki pahadi per jaate hain,kuch choti tak pahunch jaate hain,kuch nhi pahunch paate aur kuch jaan de baithte hain.Per un sabke junoon ko pranam hai
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कविता : उनको प्रणाम
कवि : नागार्जुन
सारांश / summary
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प्रस्तुत कविता में कवि उनको भी प्रणाम किया
है , जो अपने कार्य में असफल हो गए । अतः
जिनका लक्ष्य अपूर्ण रहा ।
आगे कवि यह कहते है कि , कुछ ने तो सीखा
परन्तु कुछ लक्ष्य के मार्ग में ही भ्रष्ट हो गए , मैं उन
सब को भी प्रणाम करता हूं ।
कवि उनको भी प्रणाम करते है , जो अपनी
छोटी नाव ( अर्थात छोटी आशाओं) के साथ
इस सागर ( जीवन ) को पार नहीं कर पाए ।
कवि यहां उन लोगों को भी प्रणाम करते है
जो, पर्वत चढ़ने हेतु आगे बढ़े जरूर थे परंतु
बीच में ( चढ़ने के दौरान ) किसी की मृत्यु हो
गई तो कोई विफल होकर नीचे उतर गया ।
कुछ ऐसे एकाकी ( अर्थात अकेले ) और
अकिंचन ( गरीब ) लोग भी थे, जो धरती
परिक्रमा करने हेतु निकले थे परंतु , बीच में ही
वह पंगु ( लंगड़ा ) हो गए । अतः कवि उनको
भी प्रणाम करता है ।
जिन्होंने देश के लिए बहुत से कार्य किया , जो
फांसी तक चढ़ गए , जिनको जनता ने भुला ।
दिया , कवि उन सब को भी प्रणाम करता है ।
कवि उनको भी प्रणाम करते है , जिन्होंने लक्ष्य
प्राप्ति हेतु घोर साधना किया परन्तु उनका मृत्यु
अत्यंत त्रासदी भड़ा रहा , जो सिंह लग्न में पैदा
होने पर भी जिनके नसीब त्रासदी पूर्ण मृत्यु रहा।
जो दृढ़ और साहसी थे , जो उदाहरण स्वरूप
थे , ऐसे लोगो को भी बंदी बन कर रहना पड़ा
था । ऐसे लोगो को भी कवि प्रणाम करते है।
कवि अंत में उनको भी प्रणाम करते है जिन्होंने,
देश की सेवा करते हुए कभी उसका प्रसार- प्रचार
नहीं किया , परिस्थिति अनुकूल नहीं होते हुए भी
जो हो गए चुर - चूर , उन्हें भी प्रणाम