ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा सफलता के सोपान हैं',
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ईमानदारी व कर्तव्यनिष्ठा सफलता के सोपान हैं इसमें कोई संदेह नही है।
ईमानदारी से जीवन व्यतीत करना व अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक रहना और अपने कर्तव्य को भलीभांति निभाना हमारे जीवन में हमारे चरित्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है। जब कोई व्यक्ति ईमानदारी से कार्य करता है तो लोगों का उसके प्रति विश्वास बढ़ जाता है और लोगों का यह विश्वास ही उसके लिए सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है। उसके आगे बढ़ने का मार्ग सुगम बनाता है। अपने ईमानदार स्वभाव के कारण उस व्यक्ति छवि अच्छी बनती है और उसकी ये छवि ही उसके सामजिक, आर्थिक या व्यवसायिक विकास में उत्प्रेरक का कार्य करती है। जब व्यक्ति अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक रहता है तो उसके अंदर उत्तरदायित्व की भावना विकसित होती है और वह हर कार्य को भलीभांति करने का प्रयत्न करता है। इस कारण उसकी कार्यक्षमता बढ़ती है और वह अपने कार्य का अधिक विस्तार कर पाता है। ध्यान रहे कि अपने कर्तव्य के प्रति जागरुक व्यक्ति ईमादार भी अवश्य होगा क्योंकि जो ईमानदार वो अपने कर्तव्य के प्रति लापरवाही नही करेगा और भली-भांति निभायेगा।
अतः मानव के चरित्र विकास और सफलता प्राप्ति में उसकी ईमानदारी और कर्तव्य निष्ठा महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।