Sociology, asked by Hohil6631, 1 year ago

ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय बुनकरों से सूती और रेशमी कपड़े की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए क्या किया।

Answers

Answered by nikitasingh79
22

उत्तर :  

ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय बुनकरों से सूती और रेशमी कपड़े की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित काम  किया गया :  

(क) गुमाश्तों की नियुक्ति :  

कंपनी ने कपड़ा व्यापार में सक्रिय कारोबारियों और बिचौलियों को समाप्त करने तथा बुनकरों पर अधिक से अधिक सीधा नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश की । बुनकरों की निगरानी , माल जमा करने और कपड़ों की गुणवत्ता परखने के लिए वेतन भोगी कर्मचारी नियुक्त किए। उन्हें गुमाश्ता कहा जाता था।

(ख) बुनकरों द्वारा अन्य व्यापारियों को माल बेचने पर रोक :  

कंपनी को माल बेचने वाले बुनकरों पर अन्य खरीदारों के साथ व्यापार करने पर रोक लगा दी गई। इसके लिए बुनकरों को पेशगी धन दिया जाने लगा । काम का ऑर्डर पाने वाले बुनकरों को कच्चा माल खरीदने के लिए ऋण दे दिया जाता था।  ऋण लेने वाले बुनकरों को अपना कपड़ा गुमाश्ते को ही देना पड़ता था । वे अपने कपड़ा किसी अन्य कारोबारी को नहीं बेच सकते थे।

(ग) बुनकरों से कठोर व्यवहार :  

गुमाश्ते बुनकरों से अपमानजनक व्यवहार करते थे। वे सिपाहियों तथा चपरासियों को अपने साथ लेकर आते थे और माल समय पर तैयार न होने पर बुनकरों को दंड देते थे। बुनकरों को प्राय:  बुरी तरह पीटा जाता था और कोड़े लगाए जाते थे । अब बुनकर न  तो दाम पर मोलभाव कर सकते थे और न ही किसी अन्य सौदागर को अपना माल बेच सकते थे।  उन्हें कंपनी जो कीमत देती थी वह बहुत कम थी। परंतु ऋण राशि के कारण वे कंपनी से बंधे हुए थे।

आशा है कि है उत्तर आपकी मदद करेगा।

इस पाठ से संबंधित कुछ और प्रश्न  

पहले विश्व युद्ध के समय भारत का औद्योगिक उत्पादन क्यों बढ़ा?

https://brainly.in/question/9630958

उन्नीसवीं सदी के यूरोप में कुछ उद्योगपति मशीनों की बजाय हाथ से काम करने वाले श्रमिकों को प्राथमिकता क्यों देते थे।

https://brainly.in/question/9629811

Answered by Anonymous
7

Explanation:

। इस प्रकार सोशियोलॉजी शब्द का अर्थ भी समाज का विज्ञान होता है। परंतु समाज के बारे में समाजशास्त्रियों के भिन्न – भिन्न मत है इसलिए समाजशास्त्र को भी उन्होंने भिन्न-भिन्न रूपों में परिभाषित किया है।

अति प्राचीन काल से समाज शब्द का प्रयोग मनुष्य के समूह विशेष के लिए होता आ रहा है। जैसे भारतीय समाज , ब्राह्मण समाज , वैश्य समाज , जैन समाज , शिक्षित समाज , धनी समाज , आदि। समाज के इस व्यवहारिक पक्ष का अध्यन सभ्यता के लिए विकास के साथ-साथ प्रारंभ हो गया था। हमारे यहां के आदि ग्रंथ वेदों में मनुष्य के सामाजिक जीवन पर पर्याप्त प्रकाश डाला गया है।

इनमें पति के पत्नी के प्रति पत्नी के पति के प्रति , माता – पिता के पुत्र के प्रति , पुत्र के माता – पिता के प्रति , गुरु के शिष्य के प्रति , शिष्य के गुरु के प्रति , समाज में एक व्यक्ति के दूसरे व्यक्ति के प्रति , राजा का प्रजा के प्रति और प्रजा का राजा के प्रति कर्तव्यों की व्याख्या की गई है।

मनु द्वारा विरचित मनूस्मृति में कर्म आधारित वर्ण व्यवस्था और उसके महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है और व्यक्ति तथा व्यक्ति , व्यक्ति तथा समाज और व्यक्ति तथा राज्य सभी के एक दूसरे के प्रति कर्तव्यों को निश्चित किया गया है। भारतीय समाज को व्यवस्थित करने में इसका बड़ा योगदान रहा है इसे भारतीय समाजशास्त्र का आदि ग्रंथ माना जा सकता है।

Similar questions