इन बातों के कारण गोर्बाचेव सोवियत संघ में सुधार के लिए बाध्य हुए?
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"गोर्बाचेव निम्नलिखित कारणों से सोवयत संघ में सुधार के लिए बाध्य हुए।
(1) सोवियत संघ में नौकरशाही का प्रभाव बढ़ता जा रहा था और नौकरशाही के नियंत्रण में पूरी सोवियत प्रणाली फंस गई थी जो कि सत्तावादी थी, इस कारण लोगों का जीवन कठिन हो गया था।
(2) सोवियत व्यवस्था में लोकतंत्र एवं विचार की अभिव्यक्ति की आजादी नहीं रह गई थी।
(3) सोवियत संघ में केवल एक दल साम्यवादी दल का प्रभुत्व था हालांकि सोवियत संघ में 15 गणराज्य शामिल थे, फिर भी केवल एक देश रूस का सबसे ज्यादा प्रभाव था, इस कारण बाकी गणराज्य दबा-दबा का महसूस करते थे ।
(4) सोवियत संघ ने अमेरिका से अत्याधुनिक हथियारों की होड़ में हथियारो पर बहुत खर्चा किया जिस कारण उसकी अर्थव्यवस्था पर बहुत बोझ पड़ा और उसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी । सोवियत तकनीक व अन्य क्षेत्रों में पिछड़ता गया ।
(5) सोवियत संघ राजनीतिक एवं आर्थिक तौर पर अपने नागरिकों के लिये पूरी तरह खरा नहीं उतर पाया । देश में वस्तुओं की कमी होने लगी और 1970 के दशक के अंत तक सोवियत अर्थव्यवस्था पूरी तरह लड़खड़ा चुकी थी । सोवियत अर्थव्यवस्था लड़खड़ाने का एक कारण सोवियत संघ द्वारा 1979 में अफगानिस्तान में सैनिक हस्तक्षेप भी रहा ।
इस कारण सोवियत के उस समय के राष्ट्रपति गोर्बाचेव सोवियत अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिये सुधार के लिेये बाध्य हुये ।
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