पूर्वोत्तर के लोगों के क्षेत्रीय आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति कई रूपों में होती है I बाहरी लोगों के खिलाफ आंदोलन, ज्यादा स्वायत्तता की मांग के आंदोलन और अलग देश बनाने की मांग करना- ऐसी ही कुछ अभिव्यक्ति या हैं I पूर्वोत्तर के मानचित्र पर इन तीनों के लिए अलग-अलग रंग भरिए और दिखाइए कि किस राज्य में कौन-सी प्रवृत्ति ज्यादा प्रबल है I
Answers
1947 में जम्मू-कश्मीर के भारत के साथ विलय के समय कश्मीरी लोगों से संवैधानिक आधार पर विशेष दर्जे का वादा किया गया था.
इस विशेष दर्जे के अनुसार भारत के साथ राज्य के संबंधों का आधार ये था कि भारतीय संविधान के सीमित प्रावधान राज्य पर लागू होने थे और भारतीय संसद का क्षेत्राधिकार भी सीमित ही था जैसा कि विलय पत्र में परिभाषित किया गया था.
इस विशेष दर्जे के तहत ही राज्य को अपना ख़ुद का संविधान बनाने की व्यवस्था भी की गई.
1953 के बाद हुई घटनाओं से इस विशेष दर्जे में एक तरह से बिल्कुल उलटफेर हो गया. राज्य को स्वायत्तता दिए जाने और उसका विशेष दर्जा सुनिश्चित करने के बजाय भारत के साथ राज्य के संवैधानिक एकीकरण के प्रयास हुए.
पूर्वोत्तर के लोगों के क्षेत्रीय आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति कई रूपों में होती है। भारत के पू्र्वोत्तर में स्थित नागालैंड, मिजोरम, असम इसके प्रमुख उदाहरण कहे जा सकते हैं। अलगाववाद की मांग मिजोरम और नागालैंड में प्रमुखता से उठाई गयी थी, असम के लोगों ने वहां के स्थानीय निवासियों को रोजगार में अधिक अवसर देने के लिए प्रवासियों को बाहर करने की मांग की।