Is page me se mujhe kuch mcq bata do
सभ्य कहलाने लगते। जापान की मिसाल सामने है। एक ही विजय ने उसे संसार
की सभ्य जातियों में गण्य बना दिया।
लेकिन गधे का एक छोटा भाई और भी है, जो उससे कम ही गधा है, और वह
है 'बैल'। जिस अर्थ में हम गधे का प्रयोग करते हैं, कुछ उसी से मिलते-जुलते अर्थ
में ‘बछिया के ताऊ' का भी प्रयोग करते हैं। कुछ लोग बैल को शायद
बेवकूफ़ों में सर्वश्रेष्ठ कहेंगे; मगर हमारा विचार ऐसा नहीं है। बैल कभी कभी मारता
भी है, कभी-कभी अडियल बैल भी देखने में आता है। और भी कई रीतियों से अपना
असंतोष प्रकट कर देता है। अतएव उसका स्थान गधे से नीचा है।
। झुरी काछी के दोनों बैलों के नाम थे हीरा और मोती। दोनों पछाई जाति के
थे देखने में सुंदर, काम में चौकस, डील में ऊँचे। बहुत दिनों साथ रहते-रहते दोनों
में भाईचारा हो गया था। दोनों आमने-सामने या आस पास बैठे हुए एक-दूसरे से
मूक-भाषा में विचार विनिमय करते थे। एक दुसरे के मन की बात कैसे समझ जाता।
था, हम नहीं कह सकते। अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे जीवों
में श्रेष्ठता का दावा करने वाला मनुष्य वंचित है। दोनों एक दूसरे को चाटकर और
सँघकर अपना प्रेम प्रकट करते, कभी-कभी दोनों सींग भी मिला लिया करते
थे-विग्रह के नाते से नहीं, केवल विनोद के भाव से, आत्मीयता के भाव से, जैसे
दोस्तों में घनिष्ठता होते ही धौल–धप्पा होने लगता है। इसके बिना दोस्ती कुछ
फुसफुसी, कुछ हलकी सी रहती है, जिस पर ज्यादा विश्वास नहीं किया जा सकता।
जिस वक्त ये दोनों बैल हल या गाड़ी में जोत दिए जाते और गरदनं हिला हिलाकर
चलते, उस वक्त हर एक की यही चेष्टा होती थी कि ज्यादा-से-ज्यादा बोझ मेरी ही
गरदन पर रहे। दिन-भर के बाद दोपहर या संध्या को दोनों खुलते, तो एक-दूसरे को
चाट चूटकर अपनी थकान मिटा लिया करते। नाँद में खली-भूसा पड जाने के बाद
दोनों साथ उठते, साथ नाँद में मुँह डालते और साथ ही बैठते थे। एक मुँह हटा लेता
तो दूसरा भी हटा लेता था।
संयोग की बात, झूरी ने एक बार गोई को ससुराल भेज दिया। बैलों को क्या मालूम,
वे क्यों भेजे जा रहे हैं। समझे, मालिक ने हमें बेच दिया। अपना यों बेचा जाना उन्हें
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h इसमें डोंकी को बेवकूफ और बैल को सीधा बताया गया है
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