इस अध्याय में वर्चस्व के तीन अर्थ बताए गए हैं I प्रत्येक का एक- एक उदाहरण बताएं I यह उदाहरण इस अध्ययन में बताए गए उदाहरणों से अलग होना चाहिए I
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मै काफी दिन से इस्लाम को समझने की कोशिस कर रहा था … की आखिर ये क्या है …ये कोई धर्म है या मत या कोई …. कुछ और ? लेकिन एक बात मुझे ज्यादा परेशन करती थी इनका हर काम हिन्दू धर्म के विपरीत करने का …. मुझे हमेशा से जिज्ञासा बनी रहती थी … इसको जानने की … और इसको जानने के लिए कभी किसी का लेख तो कभी इस्लाम की धार्मिक पुस्तकों को पढता था ..लेकिन कभी सही उत्तर नहीं मिला …. कोई कुछ कहता तो कोई कुछ हर एक के अपने अलग विचार ..हा कुछ बाते जरुर सामान होती थी ..यदि मै किसी मुस्लिम दोस्त से पूछता तो .. इस्लाम को पुराण धर्म बताता था … एक दिन किसी ने कुछ सबाल रामचरित्र मानस से पूछा जिसका उत्तर के लिए मुझे रामचरित्र मानस पढनी पढ़ी … और साथ में वाल्मीकि रामायण भी ………… कहते है राम उल्टा का नाम लेने से वाल्मीकि जी डाकू से ऋषि बन गए .. क्युकि राम से बड़ा राम का नाम ये ही बात सिद्ध होती है यदि आप इतिहास उठा कर देखे तो .. मुगलों से लेकर अंग्रेजो को भागने में राम का नाम ही काम आया है … राम नाम ही चमत्कार था की पत्थर भी पानी में तैर सकते है … भगवान शिव और हनुमान जी जो पलभर में भक्तो के दुःख दूर करते है ..बो भी राम नाम का जप करते है … राम से बड़ा राम का नाम … राम ही सत्य है ..इसका ज्ञान मुझे रामायण से हुआ जो सबालो के उत्तर कही ना मिले वह मुझे रामायण जी में मिले ….
क्यों ये लोग राम , कृष्ण को कल्पनिक बोलकर रामायण और महाभारत को झूठा साबित करने की कोशिस करते है
"वर्चस्व के तीन अर्थ के उदाहरण निम्नानुसार हैं-
(1) सैनिक वर्चस्व- अमेरिका की मुख्य ताकत उसकी सैन्य शक्ति है जो विश्व में किसी भी अन्य देश के मुकाबले बहुत ज्यादा है । अमेरिका अपनी सैन्य शक्ति और ताकत के बल पर किसी भी देश से पंंगा ले सकता है । उदाहरण के लिए इराक पर हमला, और अफगानिस्तान में सैन्य हस्तक्षेप आदि अमेरिका के सैनिक वर्चस्व को दर्शाते हैं ।
(2) आर्थिक वर्चस्व- आर्थिक वर्चस्व का मतलब विश्व की अर्थव्यवस्था में अपना दबदबा रखना । अमेरिका अपनी मजबूत आर्थिक स्थिति के कारण विश्व के अनेक देशों पर अपनी मरजी चलाता है । बहुराष्ट्रीय कंपनियां जो कि ज्यादातर अमेरिका की हैं, यह कंपनियां दबाव बनाती है कि अगर कोई देश पूंजीवादी विचारधारा का समर्थन नहीं करेगा तो वह उस देश में निवेश नहीं करेंगी। अमेरिका अनेक देशों को ऋण देता है, फिर उन पर अपनी बात मनवाने के लिए दबाव बनाता है । जो देश अमेरिका की बात को नहीं मानते हैं उन पर अनेक तरह के प्रतिबंध लगाने की धमकी देता है । यह सब आर्थिक वर्चस्व को सिद्ध करते हैं ।
(3) सांस्कृतिक वर्चस्व- वर्चस्व का एक प्रकार सांस्कृतिक वर्चस्व भी है अमेरिका सिर्फ सैनिक क्षेत्र या आर्थिक क्षेत्र में ही वर्चस्व नहीं रखता बल्कि वह सांस्कृतिक क्षेत्र में भी उसका दबदबा है । सांस्कृतिक वर्चस्व अन्य वर्चस्व से थोड़ा भिन्न होता है । इसमें किसी से जोर जबरदस्ती से नहीं की जाती लेकिन धीरे-धीरे आपसी रजामंदी से लोगों को इसका अभ्यस्त बना दिया जाता है । संचार माध्यमों और अन्य तकनीक माध्यमों से इसका इतना प्रचार किया जाता है कि लोग इसके प्रभाव में आ जाते हैं और फिर लोग इस को सहज रूप से अपनाने लगते हैं । अमेरिकी संस्कृति बड़ी लुभावनी है और चारों तरफ फैली हुई है । इसका असर हम पूरे विश्व में चारों तरफ देख सकते हैं । भारत जैसे देशों में भी पश्चिमी (अमेरिकी) धीरे-धीरे अपनी पैठ बना रही है । ये सांस्कृतिक वर्चस्व का उदाहरण है । "