किस प्रकार आप शाब्दिक और निष्पादन बुद्धि परीक्षणों में भेद कर सकते हैं?
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व्यक्ति केवल शारीरिक गुणों से ही एक दूसरे से भिन्न नहीं होते बल्कि मानसिक एवं बौद्धिक गुणों से भी एक दूसरे से भिन्न होते हैं। ये भिन्नताऐं जन्मजात भी होती हैं। कुछ व्यक्ति जन्म से ही प्रखर बुद्धि के तो कुछ मन्द बुद्धि व्यवहार वाले होते हैं।
आजकल बुद्धि को बुद्धि लब्धि के रूप में मापते हैं जो एक संख्यात्मक मान है। बुद्धि परीक्षण का आशय उन परीक्षणों से है जो बुद्धि-लब्धि के रूप में केवल एक संख्या के माध्यम से व्यक्ति के सामान्य बौद्धिक एवं उसमें विद्यमान विभिन्न विशिष्ट योग्यताओं के सम्बंध को इंगित करता है। कौन व्यक्ति कितना बुद्धिमान है, यह जानने के लिए मनोवैज्ञानिकों ने काफी प्रयत्न किए। बुद्धि को मापने के लिए मनोवैज्ञानिकों ने मानसिक आयु (MA) और शारीरिक आयु (C.A.) कारक प्रस्तुत किये हैं और इनके आधार पर व्यक्ति की वास्तविक बुद्धि-लब्धि ज्ञात की जाती है।
"शाब्दिक और निष्पादन बुद्धि परीक्षणों में भेद करने के कई तरीके हैं।
शाब्दिक
• सी आई ई शाब्दिक समूह की बुद्धि का परीक्षण उदय शंकर ने बनाया।
• सामान्य मानसिक योग्यता का प्रचलित समूह परीक्षण एस जलोटा ने बनाया। एम सी जोशी ने इसे हिन्दी में बनाया।
• समूह बुद्धि परीक्षण को प्रयाग मेहता, मनोविज्ञान ब्यूरो, इलाहाबाद ने बनाया।
• बिहार का टेस्ट ऑफ इंटेलिजेंस एस एम मोहसिन ने बनाया।
• स्टैनफोर्ड बिने परीक्षण के तीसरे संस्कारण को एस के कुलश्रेष्ठ ने बनाया।
निष्पादन
• सी आई ई का अशाब्दिक प्रारूपी समूह बुद्धि परीक्षण।
• निष्पादन परीक्षण माला को भाटिया ने बनाया।
• ड्रॉ ए मैन परीक्षण को प्रमिला पाठक ने बनाया।
• भारीय अनुकूलन - वेश्लर एडल्ट परफ़ार्मेंस इंटेलिजेन्स टेस्ट को आर रामलिंगस्वामी ने बनाया।
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