इस सामान्य प्रेक्षण की स्पष्ट व्याख्या कीजिए : यदि आप तीव्र गति से गतिमान किसी रेलगाड़ी की खिड़की से बाहर देखें तो समीप के पेड़, मकान आदि रेलगाड़ी की गति की विपरीत दिशा में तेजी से गति करते प्रतीत होते हैं, परन्तु दूरस्थ पिण्ड (पहाड़ियां, चंद्रमा, तारे आदि) स्थिर प्रतीत होते हैं। (वास्तव में, क्योंकि आपको ज्ञात है कि आप चल रहे हैं, इसलिए, ये दूरस्थ वस्तुएं आपको अपने साथ चलती हुई प्रतीत होती हैं)
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इस सामान्य प्रेक्षण की स्पष्ट व्याख्या।
Explanation:
- दृष्टि की रेखा को एक काल्पनिक रेखा के रूप में परिभाषित किया जाता है जो किसी वस्तु और पर्यवेक्षक की आंख से जुड़ती है।
- जब हम चलते-फिरते समय आस-पास की स्थिर वस्तुओं जैसे कि पेड़ मकान आदि का निरीक्षण करते हैं जबकि ट्रेन, वे विपरीत दिशा में तेजी से आगे बढ़ते दिखाई देते हैं क्योंकि दृष्टि की रेखा बदल जाती है
- दूसरी ओर दूर की वस्तुएं जैसे पेड़, तारे आदि दिखाई देते हैं क्यूंकि वह बहुत दूर हैं , नतीजतन दृष्टि की रेखा तेजी से अपनी दिशा नहीं बदलती है।
रेलगाड़ी पर निबंध।
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