it clatters along the roofs,
the tramp of hoofs!
it gushes and struggles out
the throat of the
lowing spout!
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ज़ख्म सब भर गए बस एक चुभन बाकी है,
हाथ में तेरे भी पत्थर था हजारों की तरह,
पास रहकर भी कभी एक नहीं हो सकते,
कितने मजबूर हैं दरिया के किनारों की तरह।
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