जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को किस तरह सही ठहराया ?
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‘धर्मवीर भारती’ द्वारा रचित कहानी “काले मेघा पानी दे” पाठ में इंदरसेना गांव के बच्चों की एक मंडली थी। जो लोगों के घर-घर जाकर उनसे पानी की मांग करती थी।
जीजी जी ने इंद्रसेना पर पानी फेंकने की बात अनेक तरह के तर्क देकर सही ठहराया। जीजी कहा कि यदि हम इंदर सेना पर पानी नहीं फेकेंगे तो भगवान हमें पानी कैसे देंगे। जिस तरह भगवान से किसी मनोकामना की पूर्ति के लिए कुछ चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है, उसी तरह हम पानी रूप अर्ध्य भगवान पर चढ़ायेंगे तो बदले में ईश्वर पानी की बारिश करेंगे।
जीजी ने कहा कि प्राचीन संस्कृति में ऋषि-मुनियों द्वारा दान-पुण्य की परंपरा का महत्व बताते अपने तर्क को मजबूत किया। ऋषि मुनियों ने भी दान-पुण्य करने को कहा है जिससे बदले में और अधिक समृद्धि आती है। कुछ अच्छा पाने के लिये पहले कुछ त्याग करने को तैयार रहना चाहिये।
जीजी ने किसान का उदाहरण देते कहा कि किसान अच्छी फसल की आशा में उत्तम बीजों को रोपित करता है। बदले में उसे उत्तम कोटि की फसल प्राप्त होती है।
इस तरह जीजी ने कुछ अच्छा पाने की लिए दान और त्याग करने के लिए तैयार रहने का तर्क देकर अपनी बात को सही ठहराया।