Chemistry, asked by saisreemeghana408, 11 months ago

जिन आयनिक ठोसों में धातु आधिक्य दोष के कारण ऋणायनिक रिक्तिका होती हैं, वे रंगीन होते हैं। इसे उपयुक्त उदाहरण की सहायता से समझाइए।

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Answered by shishir303
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जिन आयनिक ठोसों में धातु आधिक्य दोष के कारण ऋण आयनिक रिक्तिका होती है वह रंगीन होते हैं इसे हम निम्नलिखित उदाहरण द्वारा समझ सकते हैं...

हम Nacl अर्थात सोडियम क्लोराइड का उदाहरण लेते है जब Nacl के क्रिस्टल को सोडियम वाष्प के वातावरण में गर्म किया जाता है, सोडियम के परमाणु क्रिस्टल की सतह पर जम जाते हैं। Cl- आयन क्रिस्टल की सतह से विसरित हो जाते हैं और Na परमाणुओं के साथ मिलकर Nacl बना लेते हैं। निरमुक्त इलेक्ट्रॉन विसरित होकर क्रिस्टल के ऋणायनिक स्थान को अध्यासित करते हैं। इस कारण क्रिस्टर में सोडियम की अधिकता होती है। अयुग्मित इलेक्ट्रॉन द्वारा ऋणायिनिक रिक्तिका को F-केंद्र कहते हैं।

यह Nacl क्रिस्टलों को पीला रंग देते हैं और यह रंग इन इलेक्ट्रॉनों द्वारा क्रिस्टल पर पढ़ने वाले प्रकाश से उर्जा अवशोषित कर के उत्तेजित होने के कारण दिखाई देता है।

इसी तरह कुछ अन्य उदाहरणों में लिथियम की अधिकता Licl क्रिस्टल को गुलाबी बनाती है, वहीं दूसरी ओर तो पोटेशियम की अधिकता Kcl क्रिस्ट को बैंगनी बनाती है।

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निम्नलिखित किस प्रकार का स्टॉइकियोमीट्री दोष दर्शाते हैं?  

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