जैन धार्मिक साहित्य में अंग कितने हैं
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जैन शास्त्रों में सबसे प्राचीन ग्रन्थ अंग हैं, इन्हें वेद भी कहा गया है। अंग-प्रविष्ट आगमों की संख्या बारह है, इसलिए द्वादशांग कहा जाता है। द्वादशांग का दूसरा नाम गणिपिटक है। ये श्वेताम्बर और दिगम्बर परम्पराओं में समान रूप से स्वीकृत हैं।
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