जॉर्ज पंचम की नाक पाठ मे देश की किन स्थितियां पर गहरा कटाक्ष किया गया है?यह पाठ पठकर क्या प्रेरणा मिली ?
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‘कमलेश्वर’ द्वारा लिखित ‘जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ में देश में देश के सरकारी तंत्र में व्याप्त चाटुकारिता और संकीर्ण सोच का पर कटाक्ष किया गया है। हमारे देश के सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली जिस तरह परतंत्रता की मानसिकता से ग्रस्त है, इस पर कटाक्ष करते हुए लेखक ने सरकारी तंत्र की पोल खोल दी है। हमारे देश का सरकारी तंत्र हमेशा जागरूक नहीं रहता, वह अक्सर सोया रहता है और कोई विशेष अक्षरा अवसर आने पर ही उसकी नींद खुलती है।
हमारा सरकारी तंत्र मीटिंग की समस्या से ग्रस्त है, छोटी-छोटी बातों पर मीटिंग बुलाई जाती हैं और मामूली से समस्याओं के लिए ऐसे परामर्श किए जाते हैं, जैसे कोई बहुत बड़ी गंभीर समस्या हो। ये सब समय और धन की बर्बादी और औपचारिकता निभाने का एक उपक्रम होता है। वास्तव में मीटिंग में लिए गए निर्णय पर उसके अनुसार कार्य नहीं होता केवल मीटिंग के करके औपचारिकताएं निभाई जाती हैं।
हमारे देश में चारों तरफ चाटुकारिता व्याप्त है और अंग्रेजों द्वारा जाने के बाद भी सरकार अधिकारी और नेता गुलामी की मानसिकता से आजाद नहीं हो पायें है। इंग्लैंड की रानी एलिजाबेथ के भारत आने की खबर सुनकर पूरा सरकारी तंत्र अपने सारे जरूरी काम का छोड़कर की उनकी आवभगत की तैयारी में लग जाता है, यह बात हमारी गुलामी मानसिकता का ही प्रतीक है।
इस पाठ को पढ़कर हमें यही प्रेरणा मिलती है कि हमें अपनी गुलाम वाली मानसिकता से उबरना होगा और चाटुकारिता की प्रवृत्ति को छोड़ना होगा।
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‘जार्ज पंचम की नाक’ कहानी का सार
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जॉर्ज पंचम की नाक पाठ के आधार पर बताइए कि आप किन किन मानवीय मूल्य को अपनाना चाहेंगे
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ptani
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