जिसकी लाठी उसकी भैस पर कहानी लिखिये
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तो कहानी कुछ यों है कि एक पदिंत को कहीं से यजमानों में एक भैंस मिली। उसे लेकर वह घर की ओर रवाना हुआ। सुनसान रास्ते में वह पैदल ही चला जा रहा था। बीच रास्ते में उसे एक चोर मिला। उसके हाथ में मोटा डंडा था और शरीर से भी वह अच्छा तगड़ा था। उसने पदिंत को देखते ही कहा- "क्यों पदिंत देवता, खुब दक्षिना मिली लगती है, पर यह भैंस तो मेरे साथ जाएगी।"
पदिंत ने झट से कहा-"क्यों भाई?"
चोर बोला- "क्यों क्या? जो कह दिया सो करो। भैंस छोड़कर चुपचाप यहाँ से चलते बनों, वरना लाठी देखी है , तुम्हारी खोपड़ी के टुकड़े-टुकडे कर दूगाँ।"
अब तो पदिंत का गला सूख गया। हालांकि शारीरिक वल में वह चोर से कम नहीं था। पर खाली हाथ वह करे भी तो क्या करें? विपरीत समय में बुद्धि बल काम आया। पदिंत बोला-"ठीक है भाई, भैंस भले ही ले लो, पर पदिंत की चीज यों छीन लेने से तुम्हें पाप लगेगा। बदले में कुछ देकर भैंस लेते तो पाप से बच जाते।"
चोर बोला-" यहाँ मेरे पास देने को भला क्या है?" पदिंत ने झट से कहा-" और कुछ न सही, लाठी लेकर भैंस का बदला कर लो।"
चोर ने खुश होकर लाठी पदिंत को पकड़ा दी और भैंस पर दोनों हाथ रख कर खड़ा हो गया। तभी पदिंत कड़क कर बोला-" चल हट भैंस के पास से, नहीं तो अभी खोपड़ा दो होती हैं।"
चोर ने पूछा-" क्यों?"
पदिंत बोला-" क्यों क्या? जिसकी लाठी उसकी भैंस।"
चोर को अपनी बेवकुफी समझ आ गयी और उसने वहाँ से भागने में ही भलाई समझी। किसी ने सच ही कहा कि जिसमें अक्ल है, उसमें ताकत है।
तो अब समझे कि यह कहावत यहां से शुरू हुई, जिस की लाठी उस की भैंस।
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