‘जैसलमेर की राजकुमारी’ कहानी के शीर्षक के औचित्य को स्पष्ट कीजिए।
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कहानी का शीर्षक बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। कहानी के अन्य तत्वों की भाँति यह विषयोद्घाटक होने के साथ-साथ संक्षिप्त एवं रोचक होना चाहिए। प्रस्तुत कहानी आचार्य चतुरसेन शास्त्री की चरित्र प्रधान कहानी है।
इसमें जैसलमेर की राजकुमारी रत्नवती को केन्द्रबिन्दु बनाया गया है। कहानी का पूरा कथानक उसी के चरित्र पर आधारित है और वही केन्द्रीय या प्रमुख पात्र है। वह कहानी की नायिका होने के साथ-साथ श्रेष्ठ गुणों से सम्पन्न नारी पात्र है। जैसलमेर के किले की रक्षा में वह पूरी कुशलता, वीरता और अपनी सूझ-बूझ का परिचय देती है। अतः कहानी का यह शीर्षक सुस्पष्ट, आकर्षक एवं कौतूहलवर्धक है। इसे हम उचित और सार्थक शीर्षक कह सकते हैं।
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