जीवन में समय का नियोजन ही सफलता की कुंजी है। समम का चक्र अपनी गति से चल रहा है या यूँ कहें कि भाग रहा है। अक्सर
इधर-उधर, कहीं-न-कहीं, किसी-न-किसी से यह सुनने को मिलता है कि क्या करें, सयम ही नहीं मिलता। वास्तव में, हम निरंतर
गतिमान समय के साथ कदम-से-कदम मिलाकर चल ही नहीं पाते और पिछड़ जाते हैं। चाणक्य ने कहा है - "जो व्यक्ति जीवन में
समय का ध्यान नहीं रखता, उसके हाथ असफलता और पछतावा ही लगता है।" कबीर दास जी ने भी, "काल करै सो आजकर, आज करै
सो अब" कहकर काम को कल पर नहीं टालने की सीख दी है। समय जैसे बहुमूल्य धन को सोने-चाँदी की तरह संरक्षित नहीं रखा जा
सकता, क्योंकि समय तो गतिमान है। इस पर हमारा अधिकार तभी तक है, जब तक हम इसका सदुपयोग करें अन्यथा यह नष्ट हो
जाता है। sirshak
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time is great. great time in the world
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