jaal pare jal jaat bahi, taji meenan ko mohraheeman macchri neer ko, tyo na chaarti chhoha MEANING OF THIS DOHA
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इस दोहे में रहीम जी मछली के माध्यम से प्रेम को परिभाषित कर रहे हैं. उसकी भावना अतुल्य है , मछुआरे के पाणी में जाल डालने पर पानी तो निकल जाता है लेकिन मछली उसमें फास जाती है. सदा साथ रहने वाला जल मोह छोड़कर उससे विलग हो जाता है, फिर भी मछली अपने प्रिय का परित्याग नहीं करती उससे बिछुड़कर तड़प-तड़पकर अपने प्राण दे देती है।
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v good doha
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