Geography, asked by jimliboro7595, 1 year ago

जल प्रदूषण के कारणों का वर्णन करें। इसे दूर करने के उपायों को लिखें।

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Answered by lillymolleti492002
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Answer:जल प्रदूषण : कारण, प्रभाव एवं निदान (Water Pollution: Causes, Effects and Solution)

‘जल प्रदूषण’ केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, 2011

वर्तमान में वर्षा की अनियमित स्थिति, कम वर्षा आदि को देखते हुए उद्योगों को अपनी जल खपत पर नियंत्रण कर उत्पन्न दूषित जल का समुचित उपचार कर इसके सम्पूर्ण पुनर्चक्रण हेतु प्रक्रिया विकसित करनी चाहिए। ताकि जलस्रोतों के अत्यधिक दोहन की स्थिति से बचा जा सके।हम पिछले अध्याय में पढ़ आये हैं कि पानी में हानिकारक पदार्थों जैसे सूक्ष्म जीव, रसायन, औद्योगिक, घरेलू या व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से उत्पन्न दूषित जल आदि के मिलने से जल प्रदूषित हो जाता है। वास्तव में इसे ही जल प्रदूषण कहते हैं। इस प्रकार के हानिकारक पदार्थों के मिलने से जल के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणधर्म प्रभावित होते हैं। जल की गुणवत्ता पर प्रदूषकों के हानिकारक दुष्प्रभावों के कारण प्रदूषित जल घरेलू, व्यावसायिक, औद्योगिक कृषि अथवा अन्य किसी भी सामान्य उपयोग के योग्य नहीं रह जाता।

पीने के अतिरिक्त घरेलू, सिंचाई, कृषि कार्य, मवेशियों के उपयोग, औद्योगिक तथा व्यावसायिक गतिविधियाँ आदि में बड़ी मात्रा में जल की खपत होती है तथा उपयोग में आने वाला जल उपयोग के उपरान्त दूषित जल में बदल जाता है। इस दूषित जल में अवशेष के रूप में इनके माध्यम से की गई गतिविधियों के दौरान पानी के सम्पर्क में आये पदार्थों या रसायनों के अंश रह जाते हैं। इनकी उपस्थिति पानी को उपयोग के अनुपयुक्त बना देती है। यह दूषित जल जब किसी स्वच्छ जलस्रोत में मिलता है तो उसे भी दूषित कर देता है। दूषित जल में कार्बनिक एवं अकार्बनिक यौगिकों एवं रसायनों के साथ विषाणु, जीवाणु और अन्य हानिकारक सूक्ष्म जीव रहते हैं जो अपनी प्रकृति के अनुसार जलस्रोतों को प्रदूषित करते हैं।

जलस्रोतों का प्रदूषण दो प्रकार से होता है :-

1. बिन्दु स्रोत के माध्यम से प्रदूषण

2. विस्तृत स्रोत के माध्यम से प्रदूषण

1. बिन्दु स्रोत के माध्यम से प्रदूषण :-

जब किसी निश्चित क्रिया प्रणाली से दूषित जल निकलकर सीधे जलस्रोत में मिलता है तो इसे बिन्दु स्रोत जल प्रदूषण कहते हैं। इसमें जलस्रोत में मिलने वाले दूषित जल की प्रकृति एवं मात्रा ज्ञात होती है। अतः इस दूषित जल का उपचार कर प्रदूषण स्तर कम किया जा सकता है। अर्थात बिंदु स्रोत जल प्रदूषण को कम किया जा सकता है। उदाहरण किसी औद्योगिक इकाई का दूषित जल पाइप के माध्यम से सीधे जलस्रोत में छोड़ा जाना, किसी नाली या नाले के माध्यम से घरेलू दूषित जल का तालाब या नदी में मिलना।

2. विस्तृत स्रोत जल प्रदूषण :-

अनेक मानवीय गतिविधियों के दौरान उत्पन्न हुआ दूषित जल जब अलग-अलग माध्यमों से किसी स्रोत में मिलता है तो इसे विस्तृत स्रोत जल प्रदूषण कहते हैं। अलग-अलग माध्यमों से आने के कारण इन्हें एकत्र करना एवं एक साथ उपचारित करना सम्भव नहीं है। जैसे नदियों में औद्योगिक एवं घरेलू दूषित जल या अलग-अलग माध्यम से आकर मिलना।

विभिन्न जलस्रोतों के प्रदूषक बिन्दु भी अलग-अलग होते हैं।

1. नदियाँ :- जहाँ औद्योगिक दूषित जल विभिन्न नालों के माध्यम से नदियों में मिलता है, वहीं घरेलू जल भी नालों आदि के माध्यम से इसमें विसर्जित होता है। साथ ही खेतों आदि में डाला गया उर्वरक, कीटनाशक तथा जल के बहाव के साथ मिट्टी कचरा आदि भी नदियों में मिलते हैं।

2. समुद्री जल का प्रदूषण :- सभी नदियाँ अंततः समुद्रों में मिलती हैं। अतः वे इनके माध्यम से तो निश्चित रूप से प्रदूषित होती हैं। नदियों के माध्यम से औद्योगिक दूषित जल और मल-जल, कीटनाशक, उर्वरक, भारी धातु, प्लास्टिक आदि समुद्र में मिलते हैं। इनके अतिरिक्त सामुद्रिक गतिविधियों जैसे समुद्री परिवहन, समुद्र से पेट्रोलियम पदार्थों का दोहन आदि के कारण भी सामुद्रिक प्रदूषण होता है।

जलस्रोतों की भौतिक स्थिति को देखकर ही उनके प्रदूषित होने का अंदाजा लगाया जा सकता है। जल का रंग, इसकी गंध, स्वाद आदि के साथ जलीय खरपतवार की संख्या में इजाफा, जलीय जीवों जैसे मछलियों एवं अन्य जन्तुओं की संख्या में कमी या उनका मरना, सतह पर तैलीय पदार्थों का तैरना आदि जल प्रदूषित होने के संकेत हैं। कभी-कभी इन लक्षणों के न होने पर भी पानी दूषित हो सकता है, जैसे जलस्रोतों में अम्लीय या क्षारीय निस्राव या मिलना या धात्विक प्रदूषकों का जलस्रोतों से मिलना। इस तरह के प्रदूषकों का पता लगाने के लिये जल का रासायनिक विश्लेषण करना अनिवार्य होता है।

Explanation:

Answered by munnahal786
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Answer:

जल प्रदूषण :

जल प्रदूषण को एक धारा, नदी, झील, समुद्र या पानी के किसी अन्य हिस्से के संदूषण के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जो पानी की गुणवत्ता को कम करता है और इसे पर्यावरण और मनुष्यों के लिए विषाक्त बनाता है।

जल प्रदूषण के कारण :

सीवेज और अपशिष्ट जल:

अपर्याप्त सीवेज संग्रह और उपचार जल प्रदूषण के स्रोत हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, दुनिया भर में 80% से अधिक अपशिष्ट जल बिना उपचारित या पुन: उपयोग किए पर्यावरण में वापस चला जाता है।

शहरीकरण और वनों की कटाई:

भले ही इसका पानी की गुणवत्ता पर सीधा प्रभाव नहीं पड़ता है, लेकिन शहरीकरण और वनों की कटाई का अप्रत्यक्ष प्रभाव बहुत अधिक है। उदाहरण के लिए, पेड़ों को काटने और बड़े क्षेत्रों में कंक्रीटिंग करने से प्रवाह का त्वरण उत्पन्न होता है जो पानी को घुसपैठ करने और जमीन से शुद्ध होने के लिए पर्याप्त समय नहीं देता है।

कृषि :

पानी में बहने वाले उर्वरकों, कीटनाशकों, कवकनाशी, जड़ी-बूटियों या कीटनाशकों जैसे रसायनों के उपयोग के साथ-साथ पशुओं के मलमूत्र, खाद और मीथेन (ग्रीनहाउस प्रभाव) के कारण कृषि का जल प्रदूषण पर प्रभाव पड़ता है। जलीय कृषि के संबंध में, प्रदूषण सीधे पानी में है, क्योंकि अतिरिक्त भोजन और उर्वरक डिस्ट्रोफिकेशन का कारण बन रहे हैं।

उद्योगों:

उद्योग जहरीले रसायनों और प्रदूषकों से युक्त बहुत सारे कचरे का उत्पादन करते हैं। औद्योगिक कचरे की एक बड़ी मात्रा को ताजे पानी में बहा दिया जाता है जो फिर नहरों, नदियों और अंत में समुद्र में बह जाता है। जल प्रदूषण का एक अन्य स्रोत जीवाश्म ईंधन का जलना है, जिससे वायु प्रदूषण जैसे अम्ल वर्षा होती है जो तब नदियों, झीलों और पानी के अन्य हिस्सों में बहती है।

समुद्री डंपिंग:

प्लास्टिक, कागज, एल्युमीनियम, भोजन, कांच या रबर जैसे कचरे को हर दिन समुद्र में जमा किया जाता है। इन वस्तुओं को सड़ने में हफ्तों से लेकर सैकड़ों वर्षों तक का समय लगता है, और इस प्रकार ये जल प्रदूषण का एक प्रमुख कारण हैं।

रेडियोधर्मी कचरे:

उत्पन्न - दूसरों के बीच - बिजली संयंत्रों और यूरेनियम खनन द्वारा, रेडियोधर्मी कचरा पर्यावरण में हजारों वर्षों तक बना रह सकता है। जब इन पदार्थों को गलती से छोड़ दिया जाता है या अनुचित तरीके से निपटाया जाता है, तो वे भूजल, सतही जल, साथ ही साथ समुद्री संसाधनों को भी खतरे में डालते हैं।

जल प्रदूषण के उपाय :

1. अपशिष्ट जल उपचार;

अपशिष्ट जल उपचार में भौतिक, रासायनिक या जैविक प्रक्रिया के माध्यम से अपशिष्ट जल से प्रदूषकों को निकालना शामिल है। ये प्रक्रियाएँ जितनी अधिक कुशल होती हैं, पानी उतना ही साफ होता जाता है।

2. हरित कृषि:

विश्व स्तर पर, कृषि जल संसाधनों का 70% हिस्सा है, इसलिए जलवायु के अनुकूल फसलें, कुशल सिंचाई जो पानी की आवश्यकता को कम करती है और ऊर्जा-कुशल खाद्य उत्पादन के लिए आवश्यक है। पानी में प्रवेश करने वाले रसायनों को सीमित करने के लिए हरित कृषि भी महत्वपूर्ण है।

3. तूफानी जल प्रबंधन:

अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) के अनुसार, बारिश के पानी या पिघली हुई बर्फ को सड़कों, लॉन और अन्य साइटों में कम करने और पानी की गुणवत्ता में सुधार के लिए तूफानी जल प्रबंधन का प्रयास है। प्रदूषकों को पानी को दूषित करने से बचाना महत्वपूर्ण है और पानी का अधिक कुशलता से उपयोग करने में मदद करता है।

4. वायु प्रदूषण की रोकथाम:

वायु प्रदूषण का जल प्रदूषण पर सीधा प्रभाव पड़ता है क्योंकि मानव प्रेरित CO2 उत्सर्जन का 25% महासागरों द्वारा अवशोषित किया जाता है। यह प्रदूषण हमारे महासागरों के तेजी से अम्लीकरण का कारण बनता है, और समुद्री जीवन और प्रवाल के लिए खतरा है। ऐसा होने से रोकने के लिए वायु प्रदूषण को रोकना सबसे अच्छा तरीका है।

5. प्लास्टिक कचरे में कमी:

हमारे महासागरों में 80% प्लास्टिक भूमि स्रोतों से है। हमारे महासागरों में प्लास्टिक की मात्रा को कम करने के लिए, हमें विश्व स्तर पर प्लास्टिक के अपने उपयोग को कम करने और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार करने की आवश्यकता है।

6. जल संरक्षण:

जल संरक्षण के बिना हम बहुत दूर नहीं जाएंगे। यह सुनिश्चित करने में केंद्रीय है कि दुनिया को स्वच्छ पानी की बेहतर पहुंच हो। इसका मतलब यह है कि पानी एक दुर्लभ संसाधन है, इसके बारे में जागरूक होना, तदनुसार इसकी देखभाल करना और जिम्मेदारी से इसका प्रबंधन करना।

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