Jan seva hi ishwar seva hai essay in hindi
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कई अध्ययनों से पता चला है कि व्यायाम और व्यक्तिपरक कल्याण के बीच एक सकारात्मक संबंध है। हम स्वस्थ और फिट होने पर बेहतर सोच सकते हैं और जब हम बेहतर सोचते हैं तो हम स्वस्थ और फिटर हैं - यह सब एक दूसरे से जुड़ा हुआ है। वहाँ भी कई अध्ययनों का दावा है कि अधिक सक्रिय हम हैं, कम संभावना है कि हम चिंता या तनाव से पीड़ित होगा। लेकिन अभी तक यह नहीं है कि व्यायाम को मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने में एक तत्व के रूप में पहचाना जा रहा है।
जन सेवा ही ईश्वर सेवा है। कर्म ही एक व्यक्ति की सच्ची पहचान हैं। भगवन पर विश्वास करने वाला व्यक्ति सब से प्रेम करता है। जो व्यक्ति सबमें भगवान को देखता है वह किसी से द्वेष नहीं करता। वह यह मानता है कि सबमें भगवान वास करते हैं इसलिए वह सबका भला करता है।
उसके लिए सब समान होते हैं। वह सबका आदर करता है। वह किसी से लड़ाई नहीं करता। सबके साथ प्रेम से व्यवहार करता है। वह हमेशा मधुर बोलता है और अपनी बातों से किसी को दुःख नहीं पहुँचाता।
वह साधारण जीवन शैली और उच्च विचारों में विश्वास करता है। वह नियमों का पालन करता है और संतुलित जीवन व्यतीत करता है। वह आत्म विश्वासी होता है। वह परिस्थितियों से विचलित नहीं होता। वह दुखी लोगों की सहायता करता है। वह गरीबों का मित्र होता है। वह बीमार लोगों की देखभाल करता है।
वह समाज की समस्याओं को दूर करने का प्रयत्न करता है। वह समाज के कल्याण के लिए काम करते है। बच्चों के लिए सुविधायें उपलब्ध करवाने और उन्हें पढ़ने का अवसर प्रदान करने के लिए कार्य करता है। विद्यालयों में बच्चों के दोपहर के खाने का प्रबंध करवाता है।
महिलाओं के लिए उचित सेवायें उपलब्ध करवाता है। वह प्रत्येक घर में नारी को उचित स्थान दिलवाने की कोशिश करता है। वह ऐसे कार्य करता है जिससे समाज में महिलाओं और पुरुषों को बराबर स्थान मिले और किसी का शोषण न हो।
एक सच्चा सेवक समाज में भेद भाव, ऊँच नीच की भावनाओं को कम करने की कोशिश करता है। सबके लिए रोज़गार उपलब्ध करवाता है। इस प्रकार वह परोपकार करने में अपना जीवन व्यतीत करता है।
वह मानव सेवा को माधव सेवा मानता है। वह मनुष्य की सेवा करके भगवान को प्रसन्न करता है और उनका अनुग्रह प्राप्त करता है।