जन्माष्टमी पर निबंध | Write an essay on Janmastami in Hindi
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"जन्माष्टमी"
भूमिका:-> भारत एक उत्सव पर यह देश है यहां सालभर कोई न कोई उत्सव होता ही रहता है। अपनी अमूल्य सांस्कृतिक विरासत लिए हुए भारत की पहचान विश्व में अलग ही है। उन सभी उत्सव में एक प्रसिद्ध उत्सव जन्माष्टमी भी है। जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है। यह एक हिंदू धर्म का प्रसिद्ध उत्सव है। भगवान श्री कृष्ण एक कर्म योगी पुरुष थे तथा उन्होंने गीता के रूप में संसार को दिव्य एवं अलौकिक ज्ञान दिया। लोग इस दिन भगवान श्री कृष्ण के द्वारा बताए गए मार्ग का अनुसरण करते हैं।
जन्माष्टमी मनाने का कारण:-> श्री कृष्ण का जन्म द्वापर युग में भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को एक कारागार में हुआ था। श्री कृष्ण वासुदेव और देवकी की संतान थे। उनका लालन पोषण मथुरा नरेश नंद तथा यशोदा मैया ने किया था। भगवान श्री कृष्ण एक अवतारी पुरुष थे I बचपन से लेकर अपने जीवन में अनेक चमत्कार करते गए तथा लोगों को सन्मार्ग की ओर प्रेरित करते गए। उनके मुखारविंद से निकली हुई दिव्य एवं अलौकिक वाणी श्रीमद्भगवद्गीता के रूप में पूरे संसार का मार्गदर्शन करती है। जिस कारण उनके जन्मोत्सव को जन्माष्टमी के रूप में यह उत्सव भारतवर्ष में हर वर्ष बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
गीता का उपदेश:-> जब अर्जुन ने युद्ध के क्षेत्र कुरुक्षेत्र में अपने सगे संबंधियों को देखकर हथियार त्याग दिया तथा उसे मोह हो गया और उन्होने श्री कृष्ण से कहा कि है वासुदेव में युद्ध करने की स्थिति में नहीं हूं। मैं अपने ही सगे संबंधियों को मारकर ऐसा राज्य नहीं चाहता हूं। भगवान श्री कृष्ण के मुखारविंद से निकली हुई दिव्य एवं अलौकिक वाणी श्रीमदभगवत गीता का उपदेश सुनकर अर्जुन युद्ध के लिए तैयार हुआ।
श्री कृष्ण एक कर्म योगी थे, उन्होंने गीता में उपदेश दिया है कि हमें कर्म करने में अधिकार रखना चाहिए उसके फल में नहीं। उन्होंने गीता में कहा है कि इस संसार में जिस का भी जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है। आत्मा अजर अमर और अविनाशी है। जिस प्रकार व्यक्ति अपनी पुरानी वस्तुओं को त्याग करने वस्त्रों का धारण करता है, उसी तरह से आत्मा भी पुरानी शरीर का त्याग करके नए शरीर को धारण करती है।
जन्माष्टमी का बदलता स्वरूप:-> आज जन्माष्टमी का स्वरूप बदल चुका है लोग इसको मनोरंजन का साधन समझ रहे हैं। योगीराज भगवान श्री कृष्ण के जीवन चरित्र को रासलीला में लिप्त दिखाया जाता है, जो कि गलत बात है। आज टीवी अखबारों में भगवान श्री कृष्ण के बारे में गोपियों संग नृत्य के बारे में लिखा तथा दिखाया जाता है लेकिन वास्तविकता इससे परे है। कुछ पाखंडी लोगों के द्वारा उनके इस तरह के झूठे चरित्र को बताना हिंदू धर्म पर कुठाराघात है।
उपसंहार:->भगवान श्री कृष्ण एक योगी और कर्म प्रधान पुरुष थे। उनका जीवन कभी भी रासलीला में लिप्त नहीं था। उनके द्वारा दिए गए गीता के उपदेश का हमें प्रचार करना चाहिए। तथा लोगों को सन्मार्ग की ओर प्रेरित करना चाहिए तभी हमारा जन्माष्टमी मनाने का कार्य पूर्ण होगा।