झाँसी की रानी के जीवन से हम क्या प्रेरणा ले सकते हैं?
Class 6 NCERT Hindi Chapter ‘झाँसी की रानी
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‘झांसी की रानी’ सुभद्रा कुमारी चौहान की बहुत प्रसिद्ध कविता है ,जिसमें कवित्री ने वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की साहसिक जीवन कथा का परिचय दिया है। इसमें बताया गया है कि किस प्रकार देश की रक्षा के लिए उन्होंने अंग्रेजों से लड़ते लड़ते अपने प्राणों का बलिदान दे दिया था। इस कविता के माध्यम से छात्रों में देश प्रेम की भावना जगाने तथा मातृभूमि की रक्षा के लिए आत्मबलिदान की प्रेरणा दी गई है।
उत्तर :-
झांसी की रानी के जीवन से हमें प्रेरणा ले सकते हैं कि अपनी स्वतंत्रता और मातृभूमि की रक्षा के लिए हमें अपना तन ,मन धन सब कुछ निछावर कर देना चाहिए।झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के चरित्र से हमें वीरता, स्वदेश प्रेम और आत्मबलिदान की प्रेरणा मिलती है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।
उत्तर :-
झांसी की रानी के जीवन से हमें प्रेरणा ले सकते हैं कि अपनी स्वतंत्रता और मातृभूमि की रक्षा के लिए हमें अपना तन ,मन धन सब कुछ निछावर कर देना चाहिए।झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के चरित्र से हमें वीरता, स्वदेश प्रेम और आत्मबलिदान की प्रेरणा मिलती है।
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रानी लक्ष्मीबाई मराठा शासित झांसी की रानी और भारत की स्वतंत्रता संग्राम की प्रथम वनिता थीं। भारत को दासता से मुक्त करने के लिए सन् 1857 में बहुत बड़ा प्रयास हुआ। यह प्रयास इतिहास में भारत का प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम या सिपाही स्वतंत्रता संग्राम कहलाता है।
*अंग्रेज़ों के विरुद्ध रणयज्ञ में अपने प्राणों की आहुति देने वाले योद्धाओं में वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई का नाम सर्वोपरी माना जाता है। 1857 में उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम का सूत्रपात किया था। अपने शौर्य से उन्होंने अंग्रेज़ों के दाँत खट्टे कर दिए थे।
*अंग्रेज़ों की शक्ति का सामना करने के लिए उन्होंने नये सिरे से सेना का संगठन किया और सुदृढ़ मोर्चाबंदी करके अपने सैन्य कौशल का परिचय दिया था।
*रानी लक्ष्मी बाई घुड सवारी में निपूर्ण थी और उन्होंने महल के बीचों बिच घुड सवारी के लिए जगह भी बनाया था। उनके घोड़ों के नाम थे - सारंगी, पवन, और बादल। सन 1858 के समय किले से निकलने में घोड़े बादल की अहम भूमिका थी।
*अंग्रेज़ों के विरुद्ध रणयज्ञ में अपने प्राणों की आहुति देने वाले योद्धाओं में वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई का नाम सर्वोपरी माना जाता है। 1857 में उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम का सूत्रपात किया था। अपने शौर्य से उन्होंने अंग्रेज़ों के दाँत खट्टे कर दिए थे।
*अंग्रेज़ों की शक्ति का सामना करने के लिए उन्होंने नये सिरे से सेना का संगठन किया और सुदृढ़ मोर्चाबंदी करके अपने सैन्य कौशल का परिचय दिया था।
*रानी लक्ष्मी बाई घुड सवारी में निपूर्ण थी और उन्होंने महल के बीचों बिच घुड सवारी के लिए जगह भी बनाया था। उनके घोड़ों के नाम थे - सारंगी, पवन, और बादल। सन 1858 के समय किले से निकलने में घोड़े बादल की अहम भूमिका थी।
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